कुलाहन के रमेश पठानिया असम राइफल में बने सेकेंड इन कमांड
क्षेत्रवासियों को गर्व है कि किसान का बेटा इतने बड़े पद पर पहुंच कर भारत की सीमा से सटे वर्मा के बाडर पर सेवाएं दे रहा है। इस तरक्की से हिमाचल के कांगड़ा जिला के नूरपुर का नाम उच्च किया है। तरक्की से पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
जसूर, संवाद सहयोगी। डिप्टी कमांडेंट रमेश सिंह पठानिया जो ग्राम पंचायत कुलाहन तहसील नूरपुर के निवासी हैं, को पहली अक्टूबर को असम राइफल में सेकेंड इन कमांड के रूप में पदोन्नत किया गया। 2-आइसी रमेश सिंह पठानिया ने बताया कि वह किसान के बेटे हैं। जब वह 10वीं में पढ़ते थे तब पिता का निधन हो गया था। उन्होंने शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक छात्र पाठशाला नूरपुर से उत्तीर्ण की। फिर वह 1992 में एक वायरलेस आपरेटर सिपाही के रूप में असम राइफल में शामिल हुए थे। उन्होंने अपनी सेवा के दौरान स्नातक की पढ़ाई की। 2008 वर्ष में उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से सहायक कमांडेंट के रूप में उत्तीर्ण किया गया था। उन्होंने उत्तर पूर्व के विभिन्न राज्यों में कठिन इलाकों की सेवा की है। उन्होंने 2012-13 में संयुक्त राष्ट्र मिशन में एक वर्ष तक सेवा भी की है। वे 2016 से 2020 तक मेघालय के राज्यपाल के एडीसी भी रहे हैं।
नूरपुर के टीका लगोड के कुलाहन गांव के निवासियों ने एक बैठक में कहा कि क्षेत्रवासियों को गर्व है कि एक किसान का बेटा इतने बड़े पद पर पहुंच कर भारत की सीमा से सटे वर्मा के बाडर पर सेवाएं दे रहा है। इस तरक्की से हिमाचल के कांगड़ा जिला के नूरपुर का नाम उच्च किया है। तरक्की से पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
नूरपुर के सरकारी स्कूल का रिकार्ड इतिहास में आज भी सर्वोपरि है। इस सरकारी स्कूल से पढ़ने वाले छात्र किसी समय देश के मुख्य न्यायाधीश बने तथा वायु सेना में भी उच्च पदों पर रिटायर्ड हुए, लेकिन दुख की बात यह है कि स्कूल के भवन की हालत कोई भी सरकार नहीं संभाल सकी।