जानें कौन थे चरणजीत सिंह, जिनके नेतृत्व में 1964 ओलिंपिक में भारतीय हाकी टीम ने जीता था स्वर्ण पदक
Charanjit Singh Profile चरणजीत सिंह को 1963 में अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया लेकिन ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें सरकार ने 1964 में पद्मश्री सम्मान दिया। इसके अलावा भी उन्हें राज्यस्तरीय और अन्य सम्मान मिले। चरणजीत सिंह 1964 ग्रीष्मकालीन टोक्यो ओलिंपिक हाकी टीम के कप्तान रहे।
ऊना, जागरण संवाददाता। Charanjit Singh Profile, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में जन्में पूर्व भारतीय हाकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वीरवार सुबह पांच बजे उनका मैड़ी स्थित घर में निधन हो गया।
चरणजीत सिंह को 1963 में अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया, लेकिन ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें सरकार ने 1964 में पद्मश्री सम्मान दिया। इसके अलावा भी उन्हें राज्यस्तरीय और अन्य सम्मान मिले। चरणजीत सिंह 1964 ग्रीष्मकालीन टोक्यो ओलिंपिक हाकी टीम के कप्तान रहे। उन्होंने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। पद्मश्री चरणजीत सिंह, बलबीर सीनियर, पिरथीपाल जैसे धुंरधरों से सजी टीम को उस समय स्टार स्टडड टीम का नाम दिया गया था। सभी दर्शक चाहते थे कि हर प्रतियोगिता में यही टीम खेलने उतरे। गांव में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद लायलपुर एग्रीकल्चरण कालेज से बीएससी कृषि की उपाधि हासिल करने के बाद सारा ध्यान हाकी खेल पर लगा दिया। 1949 में पहली बार यूनिवर्सिटी की तरफ से खेले। 1958 से 1965 तक लगातार देश का प्रतिनिधित्व किया। इसी दौरान 1960 व 1964 के दो ओलिंपिक तथा एक एशियन स्पर्धा में भाग लिया। 1960 में सेमीफाइनल में फ्रेक्चर होने के कारण फाइनल नहीं खेल पाए तथा भारत को हार झेलनी पड़ी थी। छात्र जीवन में पढ़ाई में अव्वल रहने वाले चरणजीत सिंह देश के बेहतरीन खिलाडिय़ों में शुमार रहे। पढ़ाई हो या खेल हर क्षेत्र में अव्वल रहने की ललक ने उन्हें एक सफल खिलाड़ी व युवाओं का रोल माडल बना दिया।
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ऐसा रहा करियर
वह पंजाब पुलिस में एएसआइ के रूप में भर्ती हुए तथा 14 साल की नौकरी के बाद डीएसपी पद से रिटायरमेंट ले ली। इसके बाद लुधियाणा कृषि विश्वविद्यालय में उपनिदेशक स्टूडेंट वेलफेयर व हिसार कृषि विश्वविद्यालय में सात साल काम किया। 1972 में पिता के कहने पर अपने प्रदेश हिमाचल में नौकरी की शुरुआत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में निदेशक फिजिकल एजुकेशन एंड यूथ प्रोग्राम के रूप में की। 1990 से 92 तक प्रदेश के पहले प्रो. एमीरेटस के रूप में कार्य किया।
View attached media content - Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) 27 Jan 2022