Move to Jagran APP

टांडा से डायलिसिस के लिए पालमपुर रेफर किडनी रोगी की मौत से उठे कई सवाल, प्रशासन करेगा कार्रवाई

Kidney patient Death Tanda डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में बैजनाथ के गणखेहतर गांव के 44 वर्षीय संजीव कुमार की बुधवार सुबह मौत हो गई। स्वजनों ने टांडा मेडिकल कॉलेज के स्टाफ पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 09:25 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 09:25 AM (IST)
टांडा से डायलिसिस के लिए पालमपुर रेफर किडनी रोगी की मौत से उठे कई सवाल, प्रशासन करेगा कार्रवाई
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में 44 वर्षीय शख्‍स की मौत से कई सवाल उठ रहे हैं।

टांडा, जागरण संवाददाता। डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में बैजनाथ के गणखेहतर निवासी 44 वर्षीय संजीव कुमार की मौत से कई सवाल उठ रहे हैं। मृतक के स्वजनों ने टांडा मेडिकल कॉलेज के स्टाफ पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। किडनी रोगी संजीव कुमार को मंगलवार देर रात बैजनाथ से रेफर किया गया था।

loksabha election banner

चिकित्सा अधीक्षक को सौंपी शिकायत में संजीव के पिता चतर सिंह का कहना है कि रात को उन्हेंं कहा गया था कि मरीज का डायलिसिस होगा। रात को यह संभव नहीं है। सुबह मरीज को पालमपुर ले जाना। सुबह पहले कहा कि कोरोना टेस्ट रिपोर्ट नहीं आई है इसलिए चार घंटे तक इंतजार करवाया। बाद में चिकित्सक ने कहा कोरोना टेस्ट रिपोर्ट तो रात को ही आ गई है। मरीज को ले जाओ। फिर मरीज को शिफ्ट करने के लिए स्टाफ सदस्यों ने ऑक्सीजन गैस का सिलेंडर दिया। कहा कि इसे खुद ही फिट कर लेना। ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने में किसी ने मदद नहीं की। जब ऑक्सीजन गैस का सिलेंडर लगाने लगे तो वह खाली था। इतने में संजीव कुमार ने दम तोड़ दिया।

उन्होंने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही बतरने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा समय पर सुविधाएं मिलती तो मौत नहीं होती। उन्होंने मामले की जांच की मांग की है। चतर सिंह ने बताया कि चिकित्सा अधीक्षक छुट्टी पर थे, इसलिए शिकायत पत्र उनके निजी सहायक आमीर चंद को सौंपा है।

उम्मीद के साथ आते हैं, मिली निराशा

संजीव कुमार के साथ आए तीमारदार राकेश का कहना है कि लोग इस उम्मीद के साथ आते हैं कि उन्हेंं यहां सारी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन यहां से निराश होकर लौटना पड़ता है। ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ कि मेडिकल कॉलेज से मरीज को सिविल अस्पताल रेफर किया गया। टांडा मेडिकल कॉलेज पर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए छह जिलों के लोग निर्भर हैं। सरकार को इस संस्थान को सुदृढ़ करना चाहिए।

टांडा में दो साल से नहीं होते डायलिसिस

टांडा मेडिकल कॉलेज में दो साल से डायलिसिस नहीं होते हैं। यहां नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ का पद दो साल से खाली है। डायलिसिस के लिए मरीजों को रेफर ही करना पड़ता है। कई बार मामला सरकार के समक्ष उठाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

नहीं जाग रही सरकार : पवन काजल

विधायक कांगड़ा पवन काजल का कहना है टांडा मेडिकल कॉलेज में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने का मुद्दा विधानसभा में भी उठाया था। इसके बावजूद सरकार नहीं जाग रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस मुद्दे में स्वयं हस्तक्षेप करें। अगर शीघ्र टांडा मेडिकल कॉलेज में मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी शुरू नहीं हुई तो सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा।

दोषी के खिलाफ होगी कार्रवाई

चिकित्सा अधीक्षक टांडा मेडिकल कॉलेज डा. सुरिंद्र सिंह भारद्वाज ने कहा मैं छुट्टी पर हूं। अगर मरीज के इलाज में कोताही बरती गई है तो मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.