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सरकार नाकामी छुपाने के लिए कर रही पुलिस बल का प्रयोग: केवल पठानिया

केवल सिंह पठानिया ने कहा कि आज प्रदेश के हर वर्ग के कर्मचारी अपने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतर आए हैं और प्रदेश सरकार की नजर इन कर्मचारियों पर नहीं बल्कि अपनी नाकामी को छुपाने के लिए कर्मचारियों की आवाज को दबाने में लगी है।

By Richa RanaEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 04:16 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 04:16 PM (IST)
सरकार नाकामी छुपाने के लिए कर रही पुलिस बल का प्रयोग: केवल पठानिया
केवल पठानिया ने लाठी चार्ज करवाने की कड़ी निंदा की है।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव केवल सिंह पठानिया ने कहा कि आज प्रदेश के हर वर्ग के कर्मचारी अपने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतर आए हैं और प्रदेश सरकार की नजर इन कर्मचारियों पर नहीं बल्कि अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पुलिस बल का प्रयोग करके इन कर्मचारियों की आवाज को दबाने में लगी है। उन्होंने लाठी चार्ज करवाने की भी कड़ी निंदा की है।

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उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को प्रदेश के आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सम्मान देना चाहिए था जिन्होंने कोरोना काल में आगे आकर अपने और अपने परिवार को जोखिम में डाल कर जनता की सेवा की थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने अपनी घटिया मानसिकता का परिचय देकर सम्मान देने के बजाय लाठियां बरसाई। इस सरकार को अब सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि सचिवालय के घेराव को पहुंचे भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं को लाठियां खानी पड़ी सोमवार को सचिवालय के गेट के बाहर कार्यकर्ताओं को पुलिस कर्मियों ने धक्कामुक्की की और इस दौरान महासंघ के महासचिव और कांगड़ा जिला के गंगथ से एक महिला आशा वर्कर कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गए।

घायल महिला पूनम देवी करीब 45 मिनट तक सड़क पर ही पड़ी रही। बाद में हालत में सुधार न होता देख हमीरपुर से आए अन्य कार्यकर्ता महिला को उठाकर छोटा शिमला की डिस्पेंसरी में ले गए। यहां महिला को उपचार दिया गया। जिस समय महिला को उपचार दिया जा रहा था, उधर, प्रदेश के नौजवान बेरोजगारों को भी परीक्षा देने के लिए सरकार की नाकामी से भारी तकलीफों का सामना करना पड़ा। अगर सरकर ने समय रहते इन कर्मचारियों की मांगों पर गौर की होती तो किसी को भी किसी भी प्रकार की तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता। इस धरने से प्रदेश की आम जनता भी अछूती नहीं रही कही न कही आम जनमानस को भी धरने की वजह से कई लोगों को परेशान होना पड़ा है। धरने से ठीक पहले संजौली की तरफ से आ रही निजी बसों ने सवारियों को छोटा शिमला में ही उतार दिया।

करीब एक बजे बस से उतारी गई सवारियों में चार ऐसे आवेदक भी थे, जिन्हें नीट की परीक्षा देनी थी परीक्षा स्थल पर पहुंचने के लिए उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। इसी बीच सभी आवेदक सरकार को कोसते नजर आए। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश के कर्मचारी वर्ग अपने हक के लिए आवाज उठा रहा है और सरकार पुलिस द्वारा मजदूर संघ के पदाधिकारियों सहित कार्यकर्ताओं पर एफआइआर दर्ज करने में लग गई। एफआइआर तो उन लोगों पर होनी चाहिए जिनके द्वारा ये सब हुआ इसकी जिम्मेवार सरकार में बैठे सीएम, मंत्री और विधायक हैं।


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