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Article 370: कश्मीरी पंडित बोले, नहीं भूलता इंडियन डॉग गो बैक Kangra News

कश्मीरी पंडितों के अनुसार पिछली सदी के अंतिम दशक में जो उनके साथ हुआ वह भूलाए नहीं भूलता है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 11:15 AM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 11:15 AM (IST)
Article 370: कश्मीरी पंडित बोले, नहीं भूलता इंडियन डॉग गो बैक Kangra News
Article 370: कश्मीरी पंडित बोले, नहीं भूलता इंडियन डॉग गो बैक Kangra News

कांगड़ा, रितेश ग्रोवर। अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले का जम्मू-कश्मीर से कांगड़ा आए कश्मीरी पंडितों ने स्वागत किया है। कश्मीरी पंडितों के अनुसार, पिछली सदी के अंतिम दशक में जो उनके साथ हुआ वह भुलाए नहीं भूलता है। कांगड़ा की जय मार्केट में 29 साल से दुकान कर रहे मनोज कुमार बिंदरू व उनका परिवार कश्मीर के बारामूला में रहता था। जिस समय घर व व्यवसाय छोड़ा तो उस दौरान मनोज की उम्र मात्र 12 साल थी। वह बताते हैं कि उस दौरान जो हुआ वह भुलाए नहीं भूलता।

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बकौल मनोज, बेशक आज मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर ऐतिहासिक फैसला लिया है परंतु पिछली सदी के अंतिम दशक में जम्मू-कश्मीर में लगे इंडियन डॉग गो बैक के नारे आज भी याद हैं। मनोज बताते हैं कि हम बारामूला में थे और आतंकवादी परिवार को कश्मीर छोडऩे के लिए मजबूर करते थे। मनोज के अनुसार, माता को यह उम्मीद थी कि दोबारा घर लौटेंगे पर दो माह पहले ही वह दुनिया छोड़कर चली गईं। उस समय मनोज सेंट जोसफ स्कूल में आठवीं में पढ़ते थे और आए दिन आतंकी इंडियन डॉग गो बैक के नारे लगाकर उनके परिवार में दशहत पैदा करते थे। आतंकियों ने 26 जनवरी, 1990 की डेडलाइन जारी कर कहा था कि जो कश्मीरी पंडित बारामूला छोड़कर नहीं जाएगा उसे व उसके परिवार को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। 25 जनवरी, 1990 की रात तीन बजे परिवार बारामूला छोड़ आया था और अपने साथ कुछ रुपये, कपड़े तथा बर्तन लेकर आए थे।

बकौल मनोज, तीन माह जम्मू में रहने के बाद पिता कांगड़ा आए और सात माह तक चाय की दुकान की। माता ने गहने बेचकर दुकान ली थी। करीब तीन साल तक पूरा परिवार मात्र एक समय का खाना खाता था। सेंट जोसफ स्कूल में पढऩे वाले मनोज और उनकी तीन बहनों ने मंदिर बाजार स्थित सरकारी स्कूल में पढ़ाई पूरी की। समय के साथ-साथ कांगड़ा में ली गई दुकान में रेडीमेड कपड़ों का काम शुरू और इसके बाद मकान बनाने के बाद अपनी और बहनों की शादी की। मनोज बताते हैं कि पिता राजनाथ ज्यादा उम्र के कारण घर में ही रहते हैं और अक्सर बारामूला की बातें करते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में नया कश्मीर बनेगा और किसी भी हिंदू पंडित को कश्मीर छोडऩे के लिए मजबूर नहीं होना पड़ा।

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