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काले बिल्ले लगा मनाया अध्यापक दिवस

कांगड़ा के सभी स्कूलों में अध्यापकों ने काले बिल्ले लगाकर शिक्षक दिवस मनाया।

By Edited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 06:10 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 09:47 AM (IST)
काले बिल्ले लगा मनाया अध्यापक दिवस
काले बिल्ले लगा मनाया अध्यापक दिवस

राजा का तालाब, जेएनएन। राजकीय अध्यापक संघ के आह्वान पर जिला कांगड़ा के सभी स्कूलों में अध्यापकों ने काले बिल्ले लगाकर शिक्षक दिवस मनाया। अध्यापक संघ की जिला कांगड़ा इकाई के प्रधान नरेश धीमान, महासचिव निर्मल ठाकुर, वित्त सचिव संतोष पराशर ने कहा कि जिले के सभी स्कूलों ने सरकार के रवैये और अध्यापकों के हितों को लगातार चोट पहुंचाने के कारण मजबूरी में यह कदम उठाया है।

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उनका कहना है कि सरकार लगातार अध्यापकों को वादों का झुनझुना दिखाती रही व कमजोरियों को छुपाने के लिए अध्यापकों पर अनुचित कार्रवाई करती रही है। 17 अप्रैल व पहली मई को राज्य प्रधान वीरेंद्र चौहान के नेतृत्व में संघ की कार्यकारिणी की शिक्षा मंत्री से 48 सूत्रीय मागों को लेकर चर्चा हुई थी। उन्होंने अधिकाश मागों को 31 जुलाई तक मानने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज दिन तक न तो सरकार के द्वारा कोई अधिसूचना जारी हुई है और न ही सरकार की नीयत ठीक लग रही है। सरकार ने मांगों को मानने की बजाय 25 फीसदी से कम रिजल्ट वाले शिक्षकों की वेतन वृद्धि रोक हितों पर कुठाराघात किया है।

जगत गुरु कहलाने वाले भारत के शिक्षक के सम्मान में गिरावट का कारण सरकार है। सरकार के इस ढुलमुल रवैये के कारण जिलेभर के शिक्षक विरोधस्वरूप काले बिल्ले लगाने को बाध्य हुए हैं। नरेश धीमान के अनुसार सीआरसी रैहन, गनोह, सुखार, नूरपुर, फतेहपुर, कागड़ा, ज्वालामुखी, देहरा, धर्मशाला, रक्कड़, इंदौरा, चरूड़ी, पालमपुर, गरली, सुरानी व बैजनाथ सहित जिले के सभी स्कूलों में संघ के सदस्यों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध जताया है।

ये हैं शिक्षकों की मांगें पुरानी पेंशन फिर बहाल करने, 4-9-14 के टाइम स्केल को उसकी मूल भावना के अनुसार लागू करना, अध्यापकों की अलग से संयुक्त समन्वय समिति की बैठक करना, पीजीटी को प्रवक्ता पदनाम देना, डीपीइ को प्रवक्ता पदनाम देना, प्रधानाध्यापकों की नियमित नियुक्ति करना, शास्त्री व भाषा अध्यापकों को टीजीटी का पदनाम देना, अनुबंध पर लगे अध्यापकों को प्रथम नियुक्ति से वरिष्ठता का लाभ देना, पहली अप्रैल व पहली अक्टूबर को स्वत: ही अनुबंध शिक्षकों को नियमित करना आदि प्रमुख मागें थी।


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