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रोती-बिलखती बहन जवानों से बोली, 'मेरे भाई को तो ले आए, दुश्मनों के सिर काटकर क्यों नहीं लाए'

मेरे भाई को तो आप ले आए पर दुश्मनों के सिर काटकर क्यों नहीं लाए।Ó बिलखते हुए यह सवाल हमीरपुर के घुमारवीं के शहीद कमलदेव वैद्य की बहन शशि वैद्य ने पार्थिव देह लेकर पहुंचे डोगरा रेजिमेंट के जवानों से पूछा।

By Virender KumarEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 06:01 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 06:01 PM (IST)
रोती-बिलखती बहन जवानों से बोली, 'मेरे भाई को तो ले आए, दुश्मनों के सिर काटकर क्यों नहीं लाए'
भाई की पार्थिव देह लेकर आए जवानों से बिलखती शहीद कमलदेव वैद्य की बहन। जागरण

हमीरपुर, रणवीर ठाकुर। 'मेरे भाई को तो आप ले आए पर दुश्मनों के सिर काटकर क्यों नहीं लाए।Ó बिलखते हुए यह सवाल हमीरपुर के घुमारवीं के शहीद कमलदेव वैद्य की बहन शशि वैद्य ने पार्थिव देह लेकर पहुंचे डोगरा रेजिमेंट के जवानों से पूछा।

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शशि ने कहा कि, मेरे भाई के शरीर को जिस तरह दुश्मनों ने नुकसान पहुंचाया तो उसी तरह दुश्मनों के सिर भी काटकर लाते तो मेरे दिल को सुकून मिलता। जवानों के पास सवालों के जवाब तो नहीं थे, लेकिन उनकी आंखों में आंसुओं का सैलाब था। जम्मू कशमीर के पुंछ जिला की कृष्णा घाटी में नियंत्रण रेखा के नजदीक गश्त के दौरान बारुदी सुरंग फटने के शहीद हुए भोरंज ब्लाक की लगमन्वीं पंचायत के घुमारवीं गांव के कमलदेव वैद्य की शहादत पर हर किसी की जुबां पर उसकी गायकी, खेल व पढ़ाई पर नाज है, लेकिन अचानक इस शहादत से खो जाने का गमहीन मौहाल है।

रविवार को डोगरा रेजिमेंट के सिपाही अपने साथी शहीद कमलदेव वैद्य का अंतिम संस्कार करने के बाद वापस शहीद के आंगन से जा रहे थे तो शहीद की छोटी बहन शशि वैद्य ने भीड़ से उठकर रोते-बिलखते सैनिकों को घेर लिया और वर्दी से पकड़कर पूछने लगी कि अब मैं अपने भाई का मुंह कैसे देखूं। इससे माहौल बेहद गमनीय हो गया और सिपाही भी रोने लगे।

शनिवार को गश्त के दौरान विस्फोट से कमलदेव वैद्य बुरी तरह से जख्मी होकर शहीद हुए हैं। कमलदेव की एक टांग व शरीर के अन्य भाग क्षतिग्रस्त हो गए थे। इस दौरान पैतृक गांव में शहीद के पार्थिक शरीर के दर्शन पूरी तरह से नहीं करवाए गए। 15 डोगरा रेजिमेंट के सूबेदार किशोर चंद ने परिवारजनों को इस शहादत के बारे में जानकारी भी दी।

कमलदेव वैद्य ने राजकीय उच्च पाठशाला लुद्दर में पहली से दसवीं तक शिक्षा ग्रहण की है। इस दौरान स्कूल में वालीबाल का उम्दा खिलाड़ी रहा है। पढ़ाई में मेधावी छात्र होने के कारण जमा दो की उच्च शिक्षा राजकीय आदर्श माध्यमिक पाठशाला भोरंज के प्रथम श्रेणी में पास करके बीएससी प्रथम वर्ष की शिक्षा राजकीय डिग्री कालेज भोरंज तरक्वाड़ी से हासिल की और 15 डोगरा रेजिमेंट में देश की रक्षा के लिए भर्ती हो गए।

शहीद के पिता मदन लाल का कहना है कि उनका बेटे ने देश की रक्षा करते हए शहादत पाई है। इससे ज्यादा सरकार से क्या मांगा जा सकता है।

शहीद के नाम पर रखा जाए स्कूल का नाम

समीरपुर जिला परिषद के सदस्य पवन चंदेल, लगमन्वीं पंचायत प्रधान शशि शर्मा का कहना है कि शहीद पहली से लेकर दसवीं कक्षा तक राजकीय उच्च पाठशाला लुद्दर महादेव में पढ़ा है। ऐसे में इस स्कूल का नाम शहीद कमलदेव वैद्य के नाम रखा जाए तथा बस्सी से जाहू वाया लगमन्वीं सड़क पर शहीद की याद में गेट बनाया जाए।


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