JP Nadda in Himachal : जेपी नड्डा बोले, भाजपा ने पांच साल में देश को दिए 22 एम्स
JP Nadda in Himachal अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर की ओपीडी के शुभारंभ अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि आज देश सशक्त हाथों में है। इसके चलते पांच साल में ही देश को 22 एम्स मिले हैं।
बिलासपुर, जागरण संवाददाता। JP Nadda in Himachal, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर की ओपीडी के शुभारंभ अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि आज देश सशक्त हाथों में है। इसके चलते पांच साल में ही देश को 22 एम्स मिले हैं। इनमें से अधिकतर बनकर तैयार हो गए हैं और कुछ का कार्य प्रगति पर चल रहा है। हैरानी की बात है कि कांग्रेस की सरकारें अब तक भारत को केवल एक ही एम्स दे पाई थी और पूरे देश भर के लोग चंडीगढ़ पीजीआइ और दिल्ली एम्स का दरवाजा खटखटाते रहते थे।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी एम्स होगा, ऐसा किसी ने नहीं सोचा। सरकारों में अंतर समझाते हुए नड्डा ने कहा कि जनता को काम करने वाले लोगों की पीठ थपथपानी चाहिए और आराम करने वालों को आराम करने दें। एम्स बिलासपुर का छह महीनों बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्रीगणेश करेंगे।
जनता को समझना होगा अंतर
जेपी नड्डा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का भी यहां पहुंचने पर आभार व्यक्त किया। कहा कि सजग जनता को समझना होगा कि देश में अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं होते तो क्या दिल्ली के बाहर भी एम्स निकल पाता। अब देश में 22 एम्स खुल रहे हैं और एक एम्स को चलाने के लिए सालाना दो हजार करोड़ रुपये का खर्च आता है। देश के 22 एम्स को चलाने के लिए अब 44 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। यही लोगों की सेवा है और यही हमारी सरकार में फर्क है।
वैक्सीनेशन पर मिली शाबाशी
प्रदेश को पूर्णतया वैक्सीनेट घोषित करने पर जेपी नड्डा ने प्रदेश सरकार, जनता व स्वास्थ्य कर्मियों को बधाई दी। आज देश के नागरिक बिना मास्क घूम रहे हैं, लेकिन यह हिम्मत विदेशों में बैठे लोग और बड़े-बड़े देश नहीं कर पा रहे हैं। यूरोप, अमेरिका में लोग अब भी बिना मास्क नहीं घूम पा रहे हैं, लेकिन इस समय देश के 127 करोड़ लोग कोरोना की दोनों वैक्सीन ले चुके हैं। कांग्रेस की सरकारें होती तो शायद देश अब तक वैक्सीन के मामले में पीछे होता। देश में जब चिकनपाक्स आया तो 1995 में दवा बनी और देश में 2005 में पहुंची, जब टीबी आया तो 1921 में दवा बनी और भारत में 1998 में पहुंची। पोलियो ड्राप्स 1955 में बनी तो 1985 में भारत पहुंची। दिमागी बुखार की दवा 1930 में बनी और 2006 में भारत पहुंची। यह अंतर नीति निर्धारकों का है। यह अंतर हमें समझना होगा। भारत में कोरोना के बाद देश ने आत्मनिर्भर बनना सीखा और अब देश को दवा उपलब्ध करवाने के साथ साथ 50 देशों में वैक्सीन निर्यात की जा रही है।
मैं डाक्टरों का वकील हूं : नड्डा
एम्स बिलासपुर परिसर में जनता व प्रशिक्षु चिकित्सकों को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि, 'मैं डाक्टरों का वकील हूं। हमें डाक्टरों का सम्मान करना चाहिए। देश को इन्होंने कोरोना महामारी से बचाया है। ये लोग रात-दिन अनुसंधान और जन सेवा में जुटे हैं।