अब अखंड ज्योतियों के दर्शन के साथ ज्वालामुखी मंदिर का इतिहास भी जान सकेंगे श्रद्धालु
Jawalamukhi Mata Temple विश्व विख्यात शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए विशाल म्यूजियम (संग्राहालय) बनाया जाएगा।
ज्वालामुखी, जेएनएन। विश्व विख्यात शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए विशाल म्यूजियम (संग्राहालय) बनाया जाएगा। इसमें सदियों पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को सहेज कर रखा जाएगा, ताकि यात्रियों को मां ज्वालामुखी की पावन व अखंड ज्योतियों के दर्शन करने के अलावा प्राचीन ऐतिहासिक घटनाओं व धरोहरों की जानकारी मिल सके।
ज्वालामुखी मंदिर में शहंशाह अकबर द्वारा चढ़ाया गया ऐतिहासिक सोने का छत्र है जो उसके अहंकार की वजह से खंडित होकर किसी भी धातु का नहीं रहा है। अहंकार के चकनाचूर हो जाने का साक्षात प्रमाण पूरे विश्व में नहीं मिल पाएगा। यहां महाराजा रणजीत सिंह द्वारा चढ़ाए गए कई पट्टे हैं जिनको लेकर वे परिवार सहित मां के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए आते थे उनके द्वारा चढ़ाया गया मां के दरबार की छत के कलश पर सोने का पानी वर्षों बाद भी सुनहरी चमक को फीका नहीं पडऩे दे रहा है।
नेपाल के राजा द्वारा चढ़ाया गया अष्टधातु का मनों के हिसाब से बजनी घंटा, राजाओं द्वारा चढ़ाए गए प्राचीन पीतल के शेर, प्राचीन पांडुलिपियां, प्राचीन ग्रंथ, पुराने पीतल के बर्तन, हथियार, घंटाघर के अलावा और भी कई प्राचीन धरोहरें ऐसी हैं जो मंदिर के गोदामों में सड़-गल रही हैं अपनी पहचान खो रही हैं इन सबको बाहर निकाल कर म्यूजियम में रखा जाएगा।
मंदिर के साथ के तालाबों का होगा जीर्णोद्धार
मंदिर के साथ कई तालाब हैं जिनका भी जीर्णोद्धार करके यात्रियों को आकर्षित करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। मंदिर सहायक आयुक्त एवं एसडीएम अंकुश शर्मा ने कहा कि मंदिर न्यास की बैठक में राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने इसको बनाने के लिए मार्गदर्शन किया था। इसको मंदिर न्यास के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से पास किया है। निश्चित तौर पर मंदिर में म्यूजियम बनने से यात्रियों को ज्वालामुखी मंदिर के इतिहास और कहानी के बारे में यहां की धरोहरों व परंपराओं के बारे में जानने का मौका मिलेगा और शीघ्र ही इसका काम शुरू होगा।
मंदिर से जुड़ी हर प्राचीन धरोहर को म्यूजियम में रखने से श्रद्धालुओं को आकर्षित किया जाएगा। ये नई चीज होगी जहां यात्री हर सवाल का जवाब पा सकेंगे। यहां यात्रियों को मंदिर के इतिहास से जुड़ी किताबें भी मिलेंगी।
-रमेश धवाला, उपाध्यक्ष, राज्य योजना बोर्ड उपाध्यक्ष।