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उधारी की व्यवस्था पर ज्वालामुखी सिविल अस्पताल

प्रवीण कुमार शर्मा ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र की 70 हजार से भी अधिक आबादी जिस सिविल अस्पताल पर

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 10:06 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:16 AM (IST)
उधारी की व्यवस्था पर ज्वालामुखी सिविल अस्पताल
उधारी की व्यवस्था पर ज्वालामुखी सिविल अस्पताल

प्रवीण कुमार शर्मा, ज्वालामुखी

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विधानसभा क्षेत्र की 70 हजार से भी अधिक आबादी जिस सिविल अस्पताल पर स्वास्थ सेवाओं के लिए निर्भर है। उसे सात वर्ष बाद भी अपना भवन नसीब नहीं हो सका है। उस यात्री निवास में अस्पताल चल रहा है जिसे मंदिर न्यास ज्वालामुखी ने मां के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बनाया था। यात्री सदन श्रद्धालुओं के रहने के लिए बनाया गया था पर अब यहां अस्पताल को चलाया जा रहा है।

वर्ष 2012 में प्रदेश से भाजपा सरकार चले जाने के बाद 2013 में अस्प्ताल को पुरानी जगह से उठाकर यात्री सदन में शिफ्ट कर दिया गया था। पुराने अस्पताल की जमीन जो कि स्वास्थ्य विभाग की थी उसे मंदिर न्यास को दिया गया तथा मंदिर न्यास की जमीन स्वास्थ्य विभाग के नाम की थी, लेकिन विडंबना है कि इसी अदला बदली के चक्कर में अस्पताल को खुद का भवन नहीं मिल पाया।

अस्पताल में मौजूद हैं 40 बिस्तर

अस्पताल को अपना भवन न मिल पाने के कारण समस्या यह है कि 2017 में सरकार द्वारा इसे 100 बिस्तर का अस्पताल घोषित करने के बाद भी तीन साल बीत जाने के बावजूद 100 बिस्तर नहीं लग पाए हैं। 2017 में ही 100 बिस्तर अस्प्ताल की अधिसूचना जारी हुई, लेकिन अभी भी 40 बिस्तर ही अस्प्ताल में मौजूद हैं। दूसरे अस्पतालों में रेफर किए जाते हैं मरीज

ज्वालामुखी के सिविल अस्पताल पर लगभग 70 पंचायतों की आबादी स्वास्थ लाभ के लिए निर्भर है। विधानसभा का आधा हिस्सा चंगर क्षेत्र में होने के कारण लोग 25 से 30 किलोमीटर से इलाज के लिए आते हैं। केबल 40 बिस्तर होने से कई बार मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जाता है। सिविल अस्पताल ज्वालामुखी अधिकारिक रूप से 100 बिस्तर का है, लेकिन भवन की कमी के कारण 40 बेड ही लगाए गए हैं। नया भवन बनने के बाद ही बिस्तर की संख्या बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए सरकार ने बजट स्वीकृत किया है।

प्रवीण कुमार, खंड चिकित्सा अधिकारी कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में राजनीति का अड्डा बनाए रखा। एक षड्यंत्र के तहत लोगों को सुविधाओं से वंचित करने के लिए बस अड्डे से दूर अस्पताल यात्री सदन में चला दिया, जबकि पुराने अस्पताल की बेशकीमती जमीन पर पार्किग खड़ी कर दी। अस्पताल के लिए बही पुरानी जगह सबसे उपयुक्त थी, लेकिन लोगों की समस्याओं की नजरअंदाज करके इसे बदला गया। अस्पताल के लिए 10 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ है। जल्दी बहुमंजिला भवन बनकर तैयार होगा।

रमेश धवाला, विधायक ज्वालामुखी कांग्रेस सरकार ने ज्वालामुखी अस्पताल पर हमेशा राजनीति की है, जिस कारण आज तक अस्प्ताल भवन नहीं बन पाया। शहर से दूर अस्प्ताल शिफ्ट किया, जिससे गरीब लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

शुभम कपूर । पुरानी जगह ही अस्प्ताल के लिए अनुकूल थी, लेकिन अब वहां भवन बनना संभव नहीं है। अब जहां भी भवन बने शीघ्र बने, जिससे लोगों को सहूलियत हो।

आशुतोष। यात्री सदन अस्पताल नहीं हो सकता। यदि कुछ समय के लिए अस्पताल शिफ्ट किया था तो पुराने भवन की ही जगह अस्पताल बनाकर दोबारा वहीं चलाना चाहिए था, लेकिन राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण लोगों को जानबूझकर मुश्किल में डाला गया।

सुखविदर सिंह। जहां इस समय अस्पताल है वहां तक मरीजों को जाने के लिए 50 रुपये ऑटो के खर्च करने पड़ते हैं। गरीब लाचार लोगों के 100 रुपये तो आने जाने में लग जाते हैं। यह सब कांग्रेस सरकार की दमनकारी नीतियों का प्रतिफल है।

दीपक राणा।


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