साक्षात्कार : राम सिंह पठानिया अकेले लड़े, मैैं भी अकेला लड़ रहा
दैनिक जागरण के बनोई प्रेस परिसर में आए नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने अपने हलके के ज्वलंत मुद्दों से लेकर प्रदेश की राजनीति पर जागरण टीम के साथ बेबाक चर्चा की।
विधानसभा के अंदर हो या बाहर, कोई सार्वजनिक कार्यक्रम हो या फिर सरकारी अधिकारियों व जनता के साथ संवाद। हमेशा मुखर तेवरों के कारण विरोधियों के निशाने पर रहने वाले नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया कहते हैं, 'हमारी कौम का इतिहास रहा है।
स्वतंत्रता सेनानी वजीर राम सिंह पठानिया भी अंग्रेजों के खिलाफ अकेले लड़े थे और मैैं भी नशा व खनन माफिया के खिलाफ अकेला लड़ रहा हूं। 'दैनिक जागरण' के बनोई प्रेस परिसर में आए राकेश पठानिया ने अपने हलके के ज्वलंत मुद्दों से लेकर प्रदेश की राजनीति पर जागरण टीम के साथ बेबाक चर्चा की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश...
- नूरपुर को जिला बनाने का आपका पुराना मुद्दा है, अपनी सरकार में इसे कैसे उठा रहे हैं।
(आक्रामकता के साथ) नूरपुर को जिला बनाने की पैरवी पहले से करता रहा हूं, इसके लिए धरना तक दिया। आगे भी इसके लिए लड़ता रहूंगा। हमने ही यहां राजस्व व आबकारी जिला बनाया था। आज सबसे पहले नूरपुर को पुलिस जिला बनाने की लड़ाई है, इलाके में सिंथेटिक ड्रग्स के मकडज़ाल को भेदने के लिए यहां पुलिस थाने व चौकियों को मजबूत करना जरूरी है। साथ लगते राज्यों की पुलिस नफरी और हमारे संख्या व संसाधनों में बड़ा फर्क है।
- नूरपुर में खनन माफिया ने सारी नदियां व खड्डें खोद दी हैं, आप क्या कर रहे हैं।
मैंने तो सरकार से एनजीटी के निर्णय पर भी पूछा था कि क्या कर रहे हैं। यह मुद्दा प्राथमिकता में शामिल है। खनन माफिया ने जगह-जगह रेत व पत्थर निकालने के लिए नदियों में 25-30 मीटर गड्ढे कर दिए हैं।
(अवैध खनन के एक-एक तरीके और अंगुलियों पर इसके नियम गिनाते हुए) खनन माफिया के खिलाफ मेरी आवाज बंद नहीं हुई। इन्होंने नदियों के किनारे हजारों हेक्टेयर जगह खत्म कर दी। उन्होंने भाखड़ा बांध का उदाहरण दिया कि किस तरह एक नदी से विशाल बांध बन गया।
-आप हिमालयन रेजिमेंट की बड़ी पैरवी कर रहे हैं।
(बड़े गर्व के साथ) हमारे खून में है फौज, हमारा पहला इश्क है सेना और वर्दी। लेकिन फौजियों के साथ मजाक क्यों हो रहा है। कई वर्ष से सदन पटल पर प्रस्ताव लाते हैं, लेकिन अमल नहीं होता। हर हिमाचली जन्म से ही सैनिक है। कुछ उतावले होकर, कांगड़ी बोली में, मेरा सारा टब्बर फौजी, मिंजो पई बीमारी...। 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में वजीर राम सिंह पठानिया की भूमिका याद करते हुए कहा, तब भी पठानिया अकेला लड़ा था और आज भी पठानिया नशे व खनन माफिया के खिलाफ अकेले लड़ रहा है।
- नूरपुर में स्टेडियम का मुद्दा कई साल से लटका है, क्यों कुछ नहीं हो पा रहा।
(चुटकी लेते हुए) क्या करें, वहां वीरभद्र सिंह के नाम से शिलान्यास के तीन पत्थर लगे हैं। कांग्रेस ने इसे लेकर जनता को गुमराह किया। यह जगह सेना की थी, लेकिन कांग्रेस ने बगैर पड़ताल किए राजनीतिक लाभ लेने के लिए शिलान्यास किए। जब मैं विधायक बना तो कागज निकाले और इस जमीन को राजस्व विभाग के नाम करवाया। बाद में हारा तो काम फिर रुक गया। दूसरी बार विधायक बनने पर भूमि को खेल विभाग के नाम करवाया। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से करार करके टोकन मनी भी जमा करवाई। इसे फिर कांग्रेस के विधायक ने रद करवा दिया। एचपीसीए कोर्ट में गई और केस जीती। अब भाजपा की सरकार है, शीघ्र इस सपने को साकार करेंगे।
-फिन्ना सिंह नहर का मामला सालों से क्यों लटका है।
क्या करें, हम तो नेताओं से हारे हैं। फिन्ना सिंह नहर के इतिहास से लेकर इस परियोजना की एक-एक बारीकी गिनाई और कहा... दो साल में फीता कटवाकर दिखाउंगा। इसे लेकर मैंने जमीनी स्तर पर कार्य किया है, नहर के पूरे ट्रैक की रेकी की है। डीपीआर से लेकर एक-एक बिंदु पर अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य किया है। अपने पिछले कार्यकाल में दिल्ली व मुंबई जाकर प्रेजेंटेशन दी, 21 करोड़ रुपये स्वीकृत करवाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल की जनसभा भी करवाई। पांच करोड़ रुपये मिलने से उम्मीद बंधी है।
- एनपीएस का मुद्दा बड़ा गरमा रहा है, सरकार का क्या स्टैंड है।
(गंभीर होकर) सरकार को एक अच्छा निर्णय लेना होगा। इसे लेकर सरकारी कर्मियों में भारी रोष है, सरकार को रास्ता निकालना होगा।
- आपको प्रेम कुमार धूमल का हनुमान कहा जाता था, यदि हिमाचल की राजनीति रामलीला है तो आपका क्या रोल है।
मुझे इस रामलीला में कोई रोल नहीं चाहिए, मैं लोगों की आवाज सरकार तक पहुंचाना चाहता हूं।
- आपके मंत्री बनने की उम्मीद थी।
(लंबी सांस लेकर) देखिए ये प्रश्न मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं, क्या कह सकता हूं। भविष्य में जब मौका मिलेगा तो बताएंगे कि हम क्या कर सकते हैं, प्रदेश के लिए।
यदि कांगड़ा-चंबा से लोकसभा चुनाव लडऩे का मौका मिले तो क्या कहेंगे और कौन सबसे बढिय़ा उम्मीदवार है।
तपाक से... ऐसा कोई विचार नहीं, मैं खुश हूं जो कर रहा हूं। हमारे सामने सिर्फ शांता जी हैं, हम सब उन्हें जिताने के लिए तैयार हैं। कांगड़ा-चंबा लोकसभा सीट पर शांता से बड़ा कोई चेहरा नहीं।
- तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत से यहां क्या असर पड़ा।
कांग्रेस का मनोबल तो बढ़ा है। हिमाचल ही नहीं, भाजपा के लिए यह पूरे देश में मंथन की जरूरत है। प्रदेश में हमारी सरकार को अभी एक साल हुआ है, अभी सरकार जवान है, समय लगता है। अफसरशाही से तालमेल बैठाकर सरकीर स्ट्रीमलाइन पर आई है।
नशे के खिलाफ जंग
राकेश पठानिया ने केमिकल नशे के खिलाफ युद्धस्तर पर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए जमीनी स्तर पर काम हो, स्कूल-कॉलेज में बच्चों को जागरूक करना होगा। युवा मंडल-महिला मंडल व पंचायतों को एक सिस्टम के तहत जोडऩा होगा। उनका कहना था कि सीमा क्षेत्र से बड़ी आसानी से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सिंथेटिक ड्रग्स की सप्लाई हो रही है। इसमें युवा वर्ग व लड़कियों की संख्या 90 फीसद है। तस्करों की पत्नियां तक अलग-अलग तरीकों से 10-10 ग्राम की मात्रा हिमाचल में पहुंचा रही हैं। हमारे पास पुलिस बल की संख्या कम है, गिने-चुने पुलिस जवान अन्य कानून-व्यवस्थ देखे या फिर तस्करों को रोके। हमने विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया है और हर मंच से नशे के खिलाफ जागरूकता का प्रयास कर रहे हैं। नशा माफिया ने छात्रों तक को इस जाल में फंसा लिया है, सात-सात, आइ लड़कों की चेन बना ली है। ये दूसरे राज्यों से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पुडिय़ा यहां लाते हैं, जिनमें से उनका डोज भी निकल जाता है। इसके खिलाफ हमें धरातल पर उतरना होगा। यह अच्छे संकेत हैं कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इसके प्रति गंभीर है। अब वह इस मुद्दे पर निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे कि नूरपुर में नशे को समाप्त करने के लिए पुलिस जिला बनाया जाए।
राकेश पठानिया, इस नॉट फॉर सेल...
नशा व खनन माफिया के खिलाफ लड़ते-लड़ते मुझे कई धमकियां व प्रलोभन भी मिले, लेकिन-राकेश पठानिया, इस नॉट फॉर सेल...। कड़े तेवरों के साथ... मैं माफिया से डरने वाला नहीं, उनके साथ कोई समझौता नहीं हो सकता। ड्रग्स को लेकर विधानसभा में निर्णायक लड़ाई लड़ूंगा।