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कालाअंब के किसानों व लोगों के लिए अभिशाप बने उद्योग, आवो हवा हुई विषैली

जिला सिरमौर का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब अब पर्यावरण के नजरिये से स्थानीय लोगों व किसानों के लिए अभिशाप बन चुका है। प्रदूषण के चलते क्षेत्र की अधिकतर बड़ी औद्योगिक इकाइयों की चिमनियां व इस्पात से जुड़े उद्योग रात-दिन जहर उगल रही है।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 22 Apr 2022 05:21 PM (IST)Updated: Fri, 22 Apr 2022 05:21 PM (IST)
कालाअंब के किसानों व लोगों के लिए अभिशाप बने उद्योग, आवो हवा हुई विषैली
औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब अब पर्यावरण के नजरिये से स्थानीय लोगों व किसानों के लिए अभिशाप बन चुका है।

नाहन,जागरण संवाददाता। जिला सिरमौर का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब अब पर्यावरण के नजरिये से स्थानीय लोगों व किसानों के लिए अभिशाप बन चुका है। प्रदूषण के चलते क्षेत्र की अधिकतर बड़ी औद्योगिक इकाइयों की चिमनियां व इस्पात से जुड़े उद्योग रात-दिन जहर उगल रही है। वहीं ज्यादातर उद्योगों से निकलने वाला खतरनाक वेस्ट मैटिरियल क्षेत्र की आबोहवा को विषैला कर रहा है। क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण व गंदगी के साम्राज्य के चलते एशिया के सबसे बड़े फॉसिल पार्क के फॉसिलों पर भी अपने अस्तित्व को बचाए रखने का संकट खड़ा हो गया है।

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क्षेत्र में प्रदूषण को और ज्यादा घातक बनाने में स्थानीय कबाड़ी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। चूंकि ज्यादातर इकाइयां अपना खतरनाक वेस्ट मैटिरियल व प्लास्टिक वेस्ट वेस्ट मैनेजमेंट शिवालिक बद्दी को न देकर स्थानीय कबाडिय़ों को लाभ कमाने के नजरिये से बेच देते हैं। जबकि सरकार द्वारा प्लास्टिक वेस्ट शिवालिक वेस्ट मैनेजमेंट को देने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। सरकार द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट व प्रदूषण नियंत्रण को लेकर अच्छे नियम बनाए गए हैं, मगर उन नियमों को ताक पर रखकर औद्योगिक इकाइयां लगातार प्रदूषण फैला रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना भी सही है कि इंडस्ट्री के लिए क्षेत्र में डंपिंग यार्ड की व्यवस्था नहीं है। सवाल तो यह भी उठता है कि जब यह क्षेत्रा साडा के तहत आता है, तो प्लान में डंपिंग साइट क्यों नहीं दिखाई गई है।

कबाडिय़ों द्वारा टनों खतरनाक कचरा खुले प्लाटों में रखा गया है। जब बारिश या तूफान आता है, तो यह वेस्ट व प्लास्टिक मैटिरियल उडक़र खेतों में पहुंच जाता है। अब किसानों की जमीनों के हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि इस वेस्ट के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति भी गौण हो चुकी है। वहीं कहने को तो चैंबर आफ कामर्स का गठन किया गया है। मगर चैंबर का सामाजिक सरोकार कितना है यह तो यहां की स्थानीय जनता भली भांति जानती है। हरियाली के नाम पर किसी भी औद्योगिक इकाई द्वारा खाली पड़ी जमीनों पर कोई भी पौधा लगाने की चेष्टा नहीं की गई है। यहां तक कि स्थानीय जनता फैक्ट्रियों द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण को झेल रही है। मगर शायद ही कभी चैंबर आफ कामर्स द्वारा या किसी भी उद्योग द्वारा स्थानीय जनता के लिए कोई सामाजिक गतिविधी की गई हो, ऐसा भी नजर नहीं आता। कांग्रेस महासचिव अजय सोलंकी का कहना है कि वो उद्योगों द्वारा फैलाये जाने वाले प्रदूषण को लेकर कई बार प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं।

मगर प्रशासन प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कोई भी कारगर कदम नहीं उठा पाया है। क्षेत्र की जनता यहां बढ़ते प्रदूषण से भारी परेशानी में है। हिमाचलियों को रोजगार देना तो दूर की बात है यहां के उद्योगपति क्षेत्र की जनता के साथ किसी भी सामाजिक सरोकार से वास्ता भी नहीं रखते हैं। उधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यवाहक एक्सईएन पवन कुमार का कहना है कि समय-समय पर विभाग द्वारा औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण करते हैं, जहां कमी पाई जाती है उन इकाइयों पर कार्रवाई भी की जाती है। क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण व कबाडिय़ों द्वारा कबाड़ को नियंत्रण न कर पाने को लेकर वे जल्द क्षेत्र का दौरा करेंगे।


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