सूर्य की रोशनी की मदद से पानी से प्राप्त होगा हाइड्रोजन, आइआइटी शोधकर्ताओं ने ईजाद किया फोटोकैटलिस्ट
सूर्य की रोशनी की मदद से पानी से हाइड्रोजन प्राप्त होगा व प्रदूषण भी दूर होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने फोटोकैटलिस्ट ईजाद किया है।
मंडी, हंसराज सैनी। सूर्य की रोशनी की मदद से पानी से हाइड्रोजन प्राप्त होगा व प्रदूषण भी दूर होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने फोटोकैटलिस्ट ईजाद किया है। योगी वेमना विश्वविद्यालय कडपा के शोधकर्ताओं ने इसमें सहयोग दिया है। फोटोकैटलिसिस वैज्ञानिक उत्सुकता का विषय रहा है। इसमें सूर्य की रोशनी की मदद से कई उपयोगी उत्पाद प्राप्त करने की संभावना है। इस प्रक्रिया में प्रकाश व कैटलिस्ट के संयुक्त प्रयोग से रसायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज किया जाता है।
शोधकर्ताओं ने नए और बहुउपयोगी नैनोकम्पोजिट फोटोकैटलिस्ट की सीरीज डिजाइन की है। इसके लिए कैल्शियम टाइटेनेट के मेसोक्रिस्टल्स को मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड युक्त व कम ग्रेफीन ऑक्साइड वाले सल्फर परमाणुओं को आपस में जोड़ा है। फोटोकैटलिटिक प्रतिक्रिया का विशेष व उपयोगी उदाहरण पानी का हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में विभाजन है।
वर्तमान शोध में शोधकर्ताओं ने फोटोकैटलिस्टस से पानी के जैविक प्रदूषकों को भी दूर किया है। आइआइटी मंडी के शोधकर्ता डॉ. वेंकट कृष्णन का कहना है फोटोकैटलिटिक प्रतिक्रिया का प्रदर्शन फोटोकैटलिस्ट द्वारा प्रकाश ऊर्जा को फोटोजेनरेटेड चार्ज में बदलने की दक्षता पर निर्भर करता है जो इच्छित प्रतिक्रिया को गति प्रदान करता है। एक विशेष वेवलेंथ के प्रकाश के संपर्क में आने पर फोटोकैटलिस्ट इलेक्ट्रॉन होल उत्पन्न करते हैं। इससे प्रतिक्रिया शुरू होती है। आमतौर पर टाइटानिया व टाइटानेटस जैसी ऑक्साइड सामग्रियों को बतौर फोटोकैटलिस्ट अध्ययन किया जाता है। लेकिन ये सामग्रियां अक्सर अपने आप में अक्षम होती हैं क्योंकि इनके साथ प्रतिक्रिया को गति देने से पहले इलेक्ट्रॉन व होल आपस में मिल जाते हैं।
मेसोक्रिस्टल अत्यधिक नियंत्रित नैनोकणों से बने सुपरस्ट्रक्चर का एक नया वर्ग है। ये इलेक्ट्रॉन होल युग्म को आपस में दोबारा मिलने से रोक सकते हैं। इस प्रक्रिया में उत्पन्न मुक्त इलेक्ट्रॉन होल से जुडऩे से पहले इन कणों के बीच प्रवाहित होते हैं। शुद्ध कैल्शियम टाइटनेट की तुलना में 33 गुना अधिक फोटोकैटलिटिक हाइड्रोजन की उपलब्धि दिखी है। तीन अलग अलग वेवलेंथ की रोशनी में लाइट से इलेक्ट्रॉन कन्वर्शन की क्षमता 5.4 प्रतिशत, 3.0 प्रतिशत व 17.7 प्रतिशत दर्ज की गई।
सर्वोच्च दक्षता नारंगी प्रकाश (वेवलेंथ 600 एनएम) में पाई गई। मेसोक्रिस्टल सेमीकंडक्टर ग्रेफीन कंबिनेशन प्रकाश के संपर्क में आने पर विभिन्न जैविक प्रदूषकों का भी नाश करता है। फोटोकैटलिटिक प्रदर्शन में तेजी के तीन कारक मानते हैं। तीनों घटकों के बीच अधिक गहन संपर्क जिससे बेहतर इलेक्ट्रॉन ट्रांस्फर होता है। ज्यादा सतह क्षेत्र जिससे प्रतिक्रिया के लिए अधिक स्थान मिलता है। मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड पर विशेष साइट जो प्रतिक्रिया के दौरान उत्पन्न धनात्मक हाइड्रोजन आयनों के चिपकने की साइट बन जाती है। इसके परिणामस्वरूप हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ता है।
शोध टीम में डॉ. वेंकट कृष्णन, एसोसियट प्रो. (रसायन विज्ञान), स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आइआइटी मंडी के साथ उनके शोध विद्वान आशीष कुमार, अजय कुमार व योगी वेमना विश्वविद्यालय के डॉ. एमवी शंकर एवं उनके शोध विद्वान वेंपुलुरु नवकोटेस्वर राव शामिल हैं।