हिमाचल के वीरेंद्र सटीक फैसलों से अंपायरिंग क्षेत्र में भारतीय क्रिकेट को दिला रहे सम्मान, अनुराग को बताया अग्रणी
ICC Umpire Virender Sharma हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की ग्राम पंचायत कक्कड़ के पुरली गांव में माता शकुंतला व पिता स्वर्गीय रुलिया राम के घर पैदा हुए वीरेंद्र शर्मा ने अपनी बेहतर अंपायरिंग के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है।
नादौन, संजीब बॉवी। ICC Umpire Virender Sharma, हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की ग्राम पंचायत कक्कड़ के पुरली गांव में माता शकुंतला व पिता स्वर्गीय रुलिया राम के घर पैदा हुए वीरेंद्र शर्मा ने अपनी बेहतर अंपायरिंग के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है। वह ऐसे पहले हिमाचली हैं जिन्हें बीसीसीआइ (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) के एलीट पैनल व आइसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के पैनल में शामिल होने का गौरव हासिल है। छोटी उम्र में बतौर बल्लेबाज उन्होंने जिला हमीरपुर की ओर से खेलते हुए अपना क्रिकेट करियर शुरू किया था।
हिमाचल की ओर से 51 रणजी मैच खेले। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दो शतक तथा आठ अर्धशतक उनके नाम हैं। वहीं 2000 के करीब रन बनाए हैं। अपनी दूसरी पारी में उन्होंने वर्ष 2007 में बीसीसीआइ अंपायरिंग टेस्ट पास किया था। बीसीसीआइ उन्हें बेस्ट अंपायर के खिताब से भी सम्मानित कर चुका है। संजीव बॉवी ने वीरेंद्र शर्मा से बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:
पहले एक खिलाड़ी के रूप में लंबी पारी और अब अंपायर! चुनौती को कैसे लेते हैं?
बेशक मैदान पर अंपायरिंग बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। हर किसी की नजर अंपायर पर होती है। ऐसे में कोई भी गलत निर्णय मैच का रुख पलट सकता है तो नए विवाद का भी कारण बन जाता है। ऐसे में खुद पर विश्वास जरूरी है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कोचिंग व अंपायरिंग को इसलिए चुना क्योंकि यह दोनों ही क्षेत्र चुनौतीपूर्ण हैं और चुनौती लेना मुझे हमेशा पसंद रहा है।
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में आपके प्रदर्शन को अन्य की अपेक्षा बेहतर आंका जा रहा है?
ऐसा नहीं कह सकते। सभी ने अपना सौ फीसद दिया है। यह अलग बात है कि मेरा सक्सेस रेट-85.71 की औसत से बेहतर रहा। मैंने पूरी एकाग्रता से निर्णय लिए, यही वजह रही कि चार वर्ष में इस सीरीज में किसी भी भारतीय अंपायर का सक्सेस रेट उम्दा रहा। इस कारण भारतीय अंपायरिंग को विश्व क्रिकेट में सराहना मिली। टेस्ट मैचों में डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) निर्णयों में मेरा सक्सेस रेट 85.71, नितिन मैनन का 83.87, और अनिल चौधरी का 75 प्रतिशत रहा। भारत और इंग्लैंड की टेस्ट सीरीज में 81.54 प्रतिशत रिव्यू अमान्य पाए गए जोकि सितंबर 2017 के बाद की 26 टेस्ट सीरीज में 25 रिव्यू के साथ दूसरी सबसे बड़ी प्रतिशतता है।
कोरोनाकाल में हुए पिछले आइपीएल में अंपायरिंग का अनुभव?
नि:स्संदेह पिछले वर्ष दुबई में आयोजित आइपीएल हर किसी के लिए चुनौतीपूर्ण था। लेकिन बीसीसीआइ ने इसके सफल आयोजन से साबित किया कि खेल मैनेजमेंट में फिलहाल उसके जैसे संस्था विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं। जहां तक आइपीएल में अंपायरिंग की बात है तो चुनौती मुश्किल जरूरी थी लेकिन ईश्वर की कृपा से इसे भी पार कर लिया। बता दूं कि अब तक मैंने दो अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैचों सहित 80 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच की अंपायरिंग की है। साथ ही दो एक-दिवसीय, दो टी-20 सहित 34 के करीब आइपीएल मैचों में अंपायरिंग की है।
क्रिकेट के क्षेत्र में कोई रोल मॉडल
वैसे तो क्रिकेट के क्षेत्र में बहुत से लोगों ने उल्लेखनीय योगदान दिया है लेकिन अनुराग ठाकुर उन सबमें अग्रणी हैं। उन्होंने न केवल हिमाचल बल्कि देश के क्रिकेट को भी नई ऊंचाई देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे हमेशा क्रिकेट और प्रतिभावान युवाओं को आगे बढऩे के लिए प्रेरित ही नहीं करते बल्कि अवसर भी उपलब्ध करवाते हैं। हिमाचल क्रिकेट के में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वह अच्छे क्रिकेट प्रशासक होने के साथ उम्दा राजनीतिज्ञ भी हैं। इसके अलावा बीसीसीआइ के कोषाध्यक्ष अरुण ठाकुर भी प्रदेश व भारतीय क्रिकेट के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
अपनी कामयाबी का श्रेय किसे देते हैं?
जीवन में हर सफलता के पीछे परिवार का भरपूर सहयोग रहा। पत्नी सारिका शर्मा और बेटी विरोनिका जो कथक नृत्यांगना हैं, दोनों ही मेरा हौसला बढ़ाती रहती हैं। आज जो भी सफलता अर्जित कर पाया हूं सब उन्हीं की बदौलत है।