हिमाचल में मंडी जिले के युवा प्रधान ने नारी सशक्तीकरण और स्वावलंबन से बदल दी गांव की छवि
टांडू ग्राम पंचायत के प्रधान शुभम शर्मा ने बताया कि मैंने पंचायत की महिलाओं को प्रायः घरों में कुछ न कुछ बनाते देखा था। प्रधान पद संभालने के बाद इसी कार्य को प्राथमिकता दी।आज महिलाएं हर कार्य में आगे हैं।
मुकेश मेहरा, मंडी : हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के टांडू गांव की कहानी युवा सोच और बदलाव का सशक्त उदाहरण है। गांव के प्रधान शुभम शर्मा ने गांव में मूलभूत सुविधाओं के विकास के साथ नारी सशक्तीकरण, स्वावलंबन और स्वचछता पर विशेष ध्यान दिया। प्रधान ने इस पहाड़ी गांव में महिला एकता स्वरोजगार योजना शुरू की। महिलाओं का बीमा करवाया, उन्हें पढऩा-लिखना सिखाया। स्वच्छ पंचायत पुरस्कार की राशि से वाटर प्यूरीफायर लगवाए। इसका फलाफल यह रहा कि अब गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर हैं, अपनी गृहस्थी को मजबूत करने के साथ गांव की आर्थिकी को भी समृद्ध कर रही हैं। महिलाएं शिक्षित भी हुई हैं। ग्रामसभा की बैठक में भी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी रहती है। यही कारण है कि अब गांव ने महिला हितैषी पंचायत के राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए भी दावेदारी प्रस्तुत की है।
पंचायत में कराया सर्वे
28 वर्षीय शुभम शर्मा वर्ष 2021 में टांडू पंचायत के प्रधान चुने गए थे। प्रधान पद संभालने के बाद सबसे पहले उन्होंने पंचायत में अपने स्तर पर सर्वे किया। फिर महिलाओं की बैठक बुलाई और विमर्श के बाद महिलाओं के रोजगार के लिए योजना आरंभ की। सूची तैयार की गई कि स्वरोजगार योजना में महिलाएं क्या-क्या काम कर सकती हैं। 50 महिलाओं को टेडी बियर, सजावटी सामान व अन्य घरेलू उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिलवाया गया। महिलाएं जागृति ग्राम संगठन के माध्यम से 21 स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और प्रधान के प्रयासों से आठ निष्क्रिय महिला मंडलों का सक्रिय किया गया। कुछ ही समय में इसका परिणाम दिखने लगा और अब इन समूहों से जुड़ी गांव की महिलाएं घरेलू उत्पाद बनाकर आजीविका कमा रही हैं। प्रधान शुभम शर्मा ने इसके बाद गांव की महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान दिया और इस अभियान में 98 महिलाओं को पढऩा-लिखना सिखाया गया।
स्वच्छ पंचायत का दर्जा
गांव में स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। खुले में कचरा फेंकने वालों पर सख्ती बरती गई। प्रधान ने नालियों, गलियों आदि की सफाई के साथ स्वच्छ गांव की छवि बनाने के लिए महिलाओं की भी सहायता ली। महिलाओं ने बेकार पड़े टिन के डिब्बों को हरा, नीला व पीला रंग दिया जिनका प्रयोग गांव में कूड़ादान के रूप में किया। इससे कबाड़ का भी निस्तारण हो गया। इन प्रयासों के कारण टांडू गांव को सदर ब्लाक की स्वच्छ पंचायत का दर्जा मिला है।
कामकाज की तैयार होती वार्षिक आख्या
गांव में एक आडिट प्रणाली भी है ताकि यह प्रयास अपेक्षित परिणाम प्राप्त करते रहें। इसके अंतर्गत प्रत्येक महिला मंडल से 15 अगस्त से पहले वार्षिक रिपोर्ट ली जाती है। इससे हर मंडल के कामकाज की आख्या तैयार हो जाती है जिसके बाद दिशा निर्देश देकर कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। साथ ही, रिपोर्ट के आधार पर वर्ष के सर्वश्रेष्ठ महिला मंडल को सम्मानित भी किया जाता है।
ये उत्पाद बेचती हैं महिलाएं
महिलाएं टेडी बियर, विभिन्न तरह का सजावटी सामान, झाडू, कढ़ाई वाली चादरें बनाती हैं। इसके अलावा कचौरी, अचार व अन्य घरेलू उत्पाद तैयार करती हैं। हर महिला मंडल सरकार की योजनाएं लोगों तक पहुंचाने के लिए सप्ताह में एक कार्यक्रम करता है।
14 वर्ष बाद शुरू किया मेला
प्रधान शुभम शर्मा ने गांव में 14 वर्ष से बंद भूराड़ी मेला शुरू करवाया। इसमें घरेलू उत्पाद भी बिके। इससे यह मेला महिलाओं के लिए आय का साधन बना। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में महिलाओं को मंच भी मिला।
महिलाओं ने टांडू बनाया बीमा गांव
शुभम ने महिलाओं को बीमा क्षेत्र से भी जोड़ा। पंचायत में 25 महिलाएं यह काम कर रही हैं। टांडू गांव के ही 75 परिवारों का बीमा कर इसे बीमा गांव का दर्जा दिया है।
टांडू ग्राम पंचायत के प्रधान शुभम शर्मा ने बताया कि मैंने पंचायत की महिलाओं को प्रायः घरों में कुछ न कुछ बनाते देखा था। प्रधान पद संभालने के बाद इसी कार्य को प्राथमिकता दी।आज महिलाएं हर कार्य में आगे हैं। भविष्य में एक डेरी खोलने की योजना पर काम हो रहा है, जिसे महिलाएं चलाएंगी।