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Himachal Statehood Day: 651 रुपये से दो लाख प्रति व्‍यक्‍त‍ि आय तक पहुंचा हिमाचल, पर्यटन राज्‍य की ओर अग्रसर

Himachal Statehood Day यूं तो शुद्ध जल शुद्ध वायु और असीमित वन संपदा से राज्य धनी है। इसकी कीमत नहीं आंकी जा सकती है लेकिन प्रति व्यक्ति आय की बात की जाए तो 651 रुपये से राज्य ने आगे बढऩा शुरू किया।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 08:59 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 12:44 PM (IST)
Himachal Statehood Day: 651 रुपये से दो लाख प्रति व्‍यक्‍त‍ि आय तक पहुंचा हिमाचल, पर्यटन राज्‍य की ओर अग्रसर
दस लाख युवा पर्यटन क्षेत्र की अपार संभावनाओं दो देखते हुए पर्यटन को स्थायी रोजगार का जरिया बना रहा है।

शिमला, जेएनएन। यूं तो शुद्ध जल, शुद्ध वायु और असीमित वन संपदा से राज्य धनी है। इसकी कीमत नहीं आंकी जा सकती है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय की बात की जाए तो 651 रुपये से राज्य ने आगे बढऩा शुरू किया। शुरुआती दौर पर शिक्षा का अभाव होने के कारण सरकारी नौकरियों में पड़ोसी राज्यों के लोग अधिक थे। धीरे-धीरे प्रदेश के लोग सरकारी नौकरियों में आने लगे और कृषि और बागवानी पर निर्भरता के साथ-साथ आमदनी बढऩे लगी। प्रति व्यक्ति आय ने तेजी पकड़ी और तीन दशकों तक पढऩे वाले प्रत्येक व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिलती थी। इस समय प्रति व्यक्ति आय 1,95,255 रुपये तक जा पहुंची है। हर क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध है।

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अटल दे गए औद्योगिकरण को रफ्तार

वर्ष 2002 से पहले राज्य में गिनती के उद्योग हुआ करते थे। लेकिन भारत रत्न एवं स्व. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्य को औद्योगिक विस्तार देने के लिए औद्योगिक पैकेज दिया था। दस साल के लिए मिले औद्योगिक पैकेज का परिणाम है कि इस समय राज्य में छोटे-बड़े 10051 उद्योग हैं। बददी-बरोटीवाल-नालागढ़ को एशिया का मानचेस्टर कहा जाता है। यहां पर दवा निर्माता उद्योग देश की दवा मांग को पूरा करने के साथ-साथ विदेशों तक दवा निर्यात करते हैं। राज्य के सीमावर्ती सिरमौर, सोलन, ऊना, बिलासपुर व कांगड़ा जिलों में उद्योग रोजगार का जरिया भी बने हैं।

पर्यटन राज्य पहचान बनाने की राह पर

दो दशक पहले तक राज्य का पर्यटन कुदरती सैरगाहों पर निर्भर था। पर्यटकों के लिए ठहरने की कोई पुख्ता सुविधा नहीं थी। इस समय प्रदेश में पांच हजार से अधिक छोटे-बड़े होटल हैं। पर्यटन कई और दिशाओं में आकार ले रहा है। पांच हजार से अधिक होम स्टे की सुविधा होने से दूरस्थ स्थानों पर भी पर्यटक परिवार के साथ आराम करने के लिए पहुंचते हैं। करीब दस लाख युवा पर्यटन क्षेत्र की अपार संभावनाओं दो देखते हुए पर्यटन को स्थायी रोजगार का जरिया बना रहा है। एक समय पर राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए पर्यटक विचार करता था, लेकिन सुविधाओं का दायरा बढऩे से कहीं से भी किसी भी उम्र का व्यक्ति राज्य में घूमने आ रहा है। राज्य में पर्यटकों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक हो चुकी है।

तीन हवाई अड्डे

कनेक्टिविटी के साधनों की बात की जाए तो प्रदेश में सड़कों का जाल बिछा है। गिनती के कुछ गांव रह गए हैं जहां पर सड़क नहीं पहुंची है। सड़क को आमजन मानस की भाग्य रेखा कहा जाता है। लेकिन चार दशकों के भीतर तीन हवाई अडडे जुब्बड़हटी, गगल व भुंतर दूसरे साधन के तौर पर उपलब्ध है। समय की कमी को देखते हुए लोग हवाई यात्रा कर धर्मशाला, भुंतर हवाई अडडे से मनाली सहित दूसरे क्षेत्रों में पहुंचते हैं। राजधानी के समीप जुब्बड़हटी हवाई अडडा भी उड़ानों के उपलब्ध है। इन हवाई अडडों को उड़ान एक व उड़ान दो योजनाओं के साथ जोड़ा गया है। चौथा हवाई अडडा का मंडी जिला के नागचला में प्रस्तावित है। जिसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हवाई अडडा बनाने का विचाराधीन है।

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80 हेलीपैड और पांच हेलीपोर्ट

राज्य में हेलिकॉप्टर उतारने के लिए दुर्गम जनजातीय क्षेत्रों सहित दूसरे हिस्सों में 80 हेलीपैड बने। यदि शुरूआती वर्षाें की बात की जाए तो अनाडेल स्थित सेना का एकमात्र हेलीपैड हुआ करता था। लेकिन समय के साथ सरकार ने हर जिला में हेलीपैड विकसित किए। जहां पर जरूरत पडऩे पर हेलिकॉप्टर उतर सकें। इस समय राज्य में पांच हेलीपोर्ट निर्माण चल रहा है। इन हेलीपोर्टों में दो हेलिकॉप्टर खड़े हो सकते हैं और एक हेलिकॉप्टर उड़ान भर सकता और उतर सकता है। राज्य मुख्यालय के साथ संजौली में हेलीपोर्ट लगभग बनकर तैयार हो चुका है। जबकि मंडी शहर के साथ कंगनीधार में हेलीपोर्ट निर्माण अंतिम चरण में है।


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