51 शक्तिपीठों में से एक है मां भीमाकाली का मंदिर, शिमला से 180 किलोमीटर दूरी, माता के दरबार में होता है शांति का आभास
Bhimakali Mata Mandir Shimla देवभूमि हिमाचल प्रदेश में कई मंदिर हैं। शिमला जिला के रामपुर उपमंडल के सराहन स्थित मां भीमाकाली मंदिर हिंदुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। शिमला शहर से सराहन मंदिर की दूरी करीब 180 किलोमीटर है।
शिमला, जागरण टीम। Bhimakali Mata Mandir Shimla, शिमला जिला के रामपुर उपमंडल के सराहन स्थित मां भीमाकाली मंदिर हिंदुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। शिमला से सराहन मंदिर की दूरी करीब 180 किलोमीटर और रामपुर से करीब 47 किलोमीटर है। सराहन बुशहर की खुबसूरत पहाडिय़ों में अपनी अनूठी शैली से बना यह मंदिर शांति का आभास करवाता है। भीमाकाली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर हर साल हजारों लोग माता के दर्शन के लिए आकर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते हैं। यहां पर माता के रक्षक के रूप में लांकड़ावीर का मंदिर भी है।
आरती या विशेष मौकों पर ही खुलता है यह मंदिर
भीमाकाली का मंदिर हिंदू व बौद्ध शैली का मिश्रण है। प्राचीन मंदिर केवल आरती या विशेष मौकों पर ही खुलता है। नया मंदिर वर्ष 1943 में बनाया गया था। मंदिर परिसर में भैरों और नरसिंह जी को समर्पित मंदिर भी हैं। सराहन बुशहर राज्य के पूर्व शासकों की राजधानी थी। बुशहर राजवंश पहले जिला किन्नौर के कामरू से राज्य को नियंत्रित करते थे। बाद में राज्य की राजधानी शौणितपुर (सराहन) में स्थानांतरित कर दी गई। उसके बाद राजा राम सिंह ने रामपुर को अपनी राजधानी बनाया। आज तत्कालीन शौणितपुर को सराहन के नाम से जाना जाता है।
यहां गिरा था देवी सती का बायां कान
मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती का बायां कान गिरा था। इसके अलावा पुराणों व अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान शिव यहां ध्यान, साधना किया करते थे। इसलिए इस जगह का पौराणिक ग्रंथों में शौणितपुर नगरी या शायनत नगरी के रूप में उल्लेख है। भगवान शिव के प्रबल भक्त बाणासुर, पुराण युग के दौरान दानव राजा बाली और विष्णु भक्त प्रह्वाद के महान पौत्र के सौ पुत्रों में से एक इस रियासत के शासक थे।
देश-विदेश से पहुंचते हैं श्रद्धालु
भीमाकाली न्यास सराहन रामपुर के पुजारी पूर्ण शर्मा का कहना है सराहन भीमाकाली मंदिर में नवरात्र के दौरान देश-विदेश से कई श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचते हैं। प्रशासन की ओर से जारी आदेश के तहत श्रद्धालुओं के लिए परिसर में हर सुविधा का ध्यान रखा गया है। माता के दर्शन के लिए गर्भगृह में थोड़ी-थोड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को भेजा जा रहा है, ताकि मंदिर में अधिक भीड़ न हो।