खेतीबाड़ी में प्राकृतिक विधि अपनाकर कुल्लू के इस किसान ने की दोगुना कमाई, सेब सहित ये फसलें भी उगा रहे
Kullu Farmer Balak Ram सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद घर आकर खेतीबाड़ी में रुचि दिखाई। काफी मेहनत करने के बाद भी आय कम खर्च अधिक आ रहा था। इसके बाद प्राकृतिक विधि से खेती की तो आय में दोगुना तक का इजाफा हुआ।
कुल्लू, दविंद्र ठाकुर। सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद घर आकर खेतीबाड़ी में रुचि दिखाई। काफी मेहनत करने के बाद भी आय कम खर्च अधिक आ रहा था। धीरे धीरे नए नए तरीके अपनाकर बगीचे की देखभाल करता रहा। इसके बाद प्राकृतिक विधि से खेती की तो आय में दोगुना तक का इजाफा हुआ। यह कहानी है जिला कुल्लू के आनी खंड के बखनाओं पंचायत निवासी बालक राम की। बालक राम की जिंदगी एक प्रशिक्षण शिविर ने बदल दी। बालक राम अब लाखों रुपये सेब उत्पादन से कमा रहे हैं। इसके अलावा अन्य फसलों की पैदावार कर भी अच्छी कमाई कर रहे हैं।
वर्ष 2019 में बागवानी के प्रशिक्षण के लिए नौणी विश्वविद्यालय पहुंचे बालक राम किसी वजह से बागवानी का प्रशिक्षण नहीं ले पाए। वह विश्वविद्यालय परिसर से वापस आने का सोच ही रहे थे तभी उन्हें प्राकृतिक खेती के ऊपर आयोजित हो रहे प्रशिक्षण शिविर के बारे में पता चला। उत्सुकतावश वह प्राकृतिक खेती के इस शिविर में जा पहुंचे। वहां मिली शुरुआती जानकारी से बालक राम इतने प्रभावित हुए कि इस विधि का पूरा प्रशिक्षण हासिल करने के बाद ही घर लौटे।
एसडीएम कार्यालय से बतौर अधीक्षक सेवानिवृत्त बालक राम ने बताया सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने खेती-बागवानी के ऊपर पूरा समय देना शुरू किया। नौणी में एक महीने के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने घर लौटकर प्राकृतिक विधि से टमाटर लगाया। स्थानीय संसाधनों और घर की देसी गाय के गोबर गोमूत्र से तैयार आदानों का इस्तेमाल करने पर उन्हें अच्छे परिणाम मिले और अन्य फसलों एवं सेब पर भी इस विधि का प्रयोग करना शुरू किया।
बालक राम प्राकृतिक विधि से फ्रासबीन, लहसुन, मूली, मटर, गोभी, प्याज, सेब और राजमाह जैसी फसलें ले चुके हैं। 3.5 बीघा भूमि (जिसमें 105 और 40, 40 वर्ग मीटर के तीन पालीहाउस शामिल हैं) पर कृषि बागवानी के दौरान उन्हें कुछ अनुभव भी हुए हैं।
खट्टी लस्सी से सेब में सड़न रोग की समस्या से पाई मुक्ति
प्राकृतिक खेती से सब्जियों के पत्तों पर आने वाले पीलेपन से छुटकारा पाया। सेब में सड़न रोग की समस्या में खट्टी लस्सी कारगर सिद्ध हुई है। आदानों के प्रयोग से फसल सुरक्षा भी पहले की तुलना में बेहतर हुई है। बालक राम ने बताया कि पहले 80 प्रतिशत पौधों पर आकस्मिक पतझड़ रोग का प्रकोप होता था जो अब घटकर 40 प्रतिशत के आसपास रह गया है। 2020 में सेब की फसल पर मौसम की मार से फ्रूट सेटिंग सही नहीं हुई, जिससे सेब के उत्पादन में कमी आई। हालांकि बाकी फसलों की इस साल अच्छी उपज रही। इसी साल उन्होंने
किसानों को दे रहे गेहूं की बंसी किस्म का बीज
बालक राम ने बीज संरक्षण करना और साथी किसानों को उन्नत बीज देना शुरू किया है। वह किसानों को गेहूं की बंसी किस्म का बीज और आधा दर्जन सब्जियों के बीज भी दे रहे हैं। अपने खेत बागीचे में वह अन्य फसलों , फलदार पौधों और फूलों की दिशा में काम कर रहे हैं।
इन फसलों पर करते हैं प्राकृतिक विधि का प्रयोग
बालक राम के पास कुल 14.5 बीघा भूमि है। इसमें से शुरू में पांच बीघा में प्राकृतिक खेती पर कार्य किया। इसमें गोभी, टमाटर, बैंगन, फ्रासबीन, लहसुन, मूली, प्याज, मटर, राजमाह की खेती कर रहे हैं।