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Himachal High Court: कुमारहट्टी के समीप बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त कमेटी गठित

Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में पहाड़ों पर अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माण से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान बताया कि सोलन जिला के कुमारहट्टी के समीप बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त कमेटी का गठन किया है।

By JagranEdited By: Rajesh Kumar SharmaPublished: Wed, 28 Sep 2022 11:29 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 11:29 AM (IST)
Himachal High Court: कुमारहट्टी के समीप बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त कमेटी गठित
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर।

शिमला, विधि संवाददाता। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में पहाड़ों पर अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माण से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान बताया कि सोलन जिला के कुमारहट्टी के समीप बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त कमेटी का गठन किया है। अतिरिक्त उपायुक्त सोलन की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता, जिला वन अधिकारी और टाउन एंड कंट्री प्लानर को इसका सदस्य बनाया है। अदालत को बताया गया कि इस कमेटी का गठन 20 सितंबर को किया था। अदालत को यह भी बताया गया कि कुमारहट्टी क्षेत्र को नजदीकी प्लानिंग क्षेत्र में मिलाए जाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि इस बारे मंत्रिमंडल की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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बड़ोग क्षेत्र नजदीक होने के कारण कुमारहट्टी को साडा बड़ोग में विलय करने की संभावना भी तलाशी जा रही है। पहाडिय़ों पर बेतरतीब व अवैध निर्माण के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से जवाब शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था।

मुख्य न्यायाधीश एए सईद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मुद्दे को अति महत्वपूर्ण और गंभीर बताया। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह अपने जवाब शपथपत्र में यह भी स्पष्ट करे कि प्रदेश की कौन सी अथारिटी ने सोलन जिला के खील झालसी से कोरों को मिलाकर कैंथरी गांव तक छह किलोमीटर सड़क के दोनो तरफ बहुमंजिला इमारतों को बनाने की अनुमति प्रदान की है।

कोर्ट ने पाया था कि ऐसे बेतरतीब और अंधाधुंध निर्माण को रोकने के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है। कोर्ट का मानना था कि पर्यावरण दृष्टि से संवेदनशील इलाके में यह इमारतें पहाड़ों को काटकर बनाई गईं प्रतीत होती हैं। प्रार्थी कुसुम बाली ने याचिका में यह भी बताया है कि यह निर्माण गैरकानूनी है। इनसे पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं। कोर्ट ने प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पहाड़ों को काटकर इन अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माणों को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से अवगत करवाने के आदेश भी मुख्य सचिव को दिए थे।


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