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हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग ने बदला डिग्री की वेरिफिकेशन का पैटर्न, जानिए क्‍या हुआ बदलाव

Himachal Degree Verification Pattern हिमाचल में निजी विश्वविद्यालय में डिग्री फर्जीवाड़े के बाद शिक्षा विभाग ने डिग्री वेरिफिकेशन का पैटर्न बदल दिया है। वेरिफिकेशन के लिए विभाग ने नियम तय कर दिए हैं। डिग्री व डिप्लोमा की यदि कोई वेरिफिकेशन करवाना चाहता है तो उसके लिए आवेदन भरकर देना होगा।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Thu, 21 Apr 2022 10:56 AM (IST)Updated: Thu, 21 Apr 2022 10:56 AM (IST)
हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग ने बदला डिग्री की वेरिफिकेशन का पैटर्न, जानिए क्‍या हुआ बदलाव
हिमाचल में निजी विश्वविद्यालय में डिग्री फर्जीवाड़े के बाद शिक्षा विभाग ने डिग्री वेरिफिकेशन का पैटर्न बदल दिया है।

शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Pradesh Degree Verification Pattern, हिमाचल में निजी विश्वविद्यालय में डिग्री फर्जीवाड़े के बाद शिक्षा विभाग ने डिग्री वेरिफिकेशन का पैटर्न बदल दिया है। वेरिफिकेशन के लिए विभाग ने नियम तय कर दिए हैं। डिग्री व डिप्लोमा की यदि कोई वेरिफिकेशन करवाना चाहता है तो उसके लिए आवेदन भरकर देना होगा। निदेशक के नाम से यह आवेदन होगा। आवेदन के साथ डिग्री, डिप्लोमा या डीएमसी की तीन फोटो कापी अटैच करनी होगी। इसके अलावा पहचान के तौर पर आवेदनकर्ता को आधार कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट में से कोई एक प्रूफ देना होगा।

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डिग्री की वेरिफिकेशन के लिए अभ्यर्थी या उसके परिवार का कोई सदस्य (माता, पिता, भाई बहन) ही आवेदन कर सकता है। शपथ पत्र के आधार पर ही अन्य व्यक्ति वेरिफिकेशन के लिए आवेदन कर सकता है। शपथ पत्र में यह भी बताना होगा कि अभ्यर्थी खुद क्यों वेरिफिकेशन के लिए नहीं आ रहा है। इसके आधार पर वेरिफिकेशन की जाएगी।

क्यों पड़ती है वेरिफिकेशन की जरूरत

हिमाचल में 16 निजी विश्वविद्यालय हैं। विवि में ज्यादातर छात्र दूसरे राज्यों के हैं। कुछ छात्र विदेशी भी इन विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। हिमाचल के शिक्षण संस्थानों से डिग्री करने के बाद यदि कोई छात्र अन्य राज्यों में नौकरी के लिए आवेदन करता है तो डिग्री की वेरिफिकेशन करवानी पड़ती है। पूर्व में डिग्री में फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसलिए अब विभाग ने भी नियमों में सख्ती कर दी है। वेरिफिकेशन में भी छात्र का पूरा रिकार्ड चेक किया जाता है कि उसने कब दाखिला लिया था कब पासआउट हुआ। इसकी क्रास वेरिफिकेशन की जाती है ताकि फर्जीवाड़े की संभावना न रहे।


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