बंदरों ने बिगाड़ी हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी, हर साल कर रहे दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान
Himachal Pradesh Economy कृषि से प्रदेश के सात लाख से अधिक किसान जुड़े हैं। इनके प्रतिनिधि संगठनों के अनुसार बंदर हर साल दो हजार करोड़ की आर्थिकी को नुकसान पहुंचाते हैं।
शिमला, जेएनएन। कृषि से प्रदेश के सात लाख से अधिक किसान जुड़े हैं। इनके प्रतिनिधि संगठनों के अनुसार बंदर हर साल दो हजार करोड़ की आर्थिकी को नुकसान पहुंचाते हैं। कृषि और बागवानी की फसल को ही करीब पांच सौ करोड़ का नुकसान हो रहा है। लाखों परिवारों को फसलों की रखवाली पर पैसा और मानव श्रम खर्च करना पड़ता है। अगर रखवाली का प्रावधान मनरेगा में हो तो किसानों को लाभ मिलता।
राज्य सरकारों ने केंद्र ने साथ इस मसले को कई बार उठाया, पर मांग स्वीकार नहीं की। खेती बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े रहे डॉ. ओपी भुरेटा ने कहा कि बंदरों को मारना स्थायी समाधान नहीं है। सरकार को अल्पकालीन और दीर्घकालीन दोनों कदम उठाने होंगे। अब सरकार ने बंदरों को मारने पर एक बार फिर प्रतिबंध लगा दिया है।
बंदरों के निर्यात पर भी प्रतिबंध
पूर्व कांग्रेस सरकार ने बंदरों को उत्तर-पूर्व के राज्यों में भेजने के प्रस्ताव तैयार किए। बाद में इन राज्यों ने भी बंदरों को लेने से इन्कार किया। निर्यात पर कई दशक से पाबंदी है। इस कारण विदेश भी नहीं भेज पा रहे हैं।
नसबंदी पर जोर
वन विभाग बंदरों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए 13 वर्ष से उनकी नसबंदी पर जोर दे रहा है। हालांकि इसके भी बेहतर नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं। प्रदेश में बंदरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
27 हजार हेक्टेयर भूमि छोड़ दी खाली
बंदरों को वर्मिन घोषित करने का किसानों को लाभ हुआ है। एक अनुसार के अनुसार करीब 40 हजार बंदर मारे गए, पर यह तरीका भी अवैज्ञानिक रहा। सरकार को चाहिए कि वह वन विभाग की बजाय कृषि या बागवानी को नॉडल एजेंसी बनाए। केंद्र सरकार बंदरों को निर्यात करने की अनुमति दे। किसानों ने 27 हजार हेक्टेयर भूमि को खाली छोड़ दिया है। वे जंगली जानवरों, खासकर बंदरों की समस्या से परेशान हैं। -डॉ. कुलदीप सिंह तंवर, पूर्व आइएफएस अधिकारी एवं प्रदेशाध्यक्ष, किसान सभा।