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गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख मोदी सरकार को नजर आई महंगाई : विक्रमादित्य

MLA Vikramaditya Singh हिमाचल प्रदेश कांग्रेस महासचिव विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार कोई भी निर्णय अपना राजनीतिक हित को सामने रख कर लेती है। गुजरात और हिमाचल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को आते देख महंगाई नजर आने लगी है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 02:56 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 02:56 PM (IST)
गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख मोदी सरकार को नजर आई महंगाई : विक्रमादित्य
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस महासचिव विधायक विक्रमादित्य सिंह

शिमला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस महासचिव विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार कोई भी निर्णय अपना राजनीतिक हित को सामने रख कर लेती है। उन्होंने कहा गुजरात और हिमाचल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को आते देख अब केंद्र की मोदी सरकार को पेट्रोल व डीज़ल के बढ़ते मूल्य के साथ साथ महंगाई नजर आने लगी है। इसी के चलते पेट्रोल व डीजल पर से केंद्रीय एक्साइज डयूटी को कम किया गया है, जबकि लोग पिछले कई महीनों से इसके बढ़ते मूल्यों से परेशान हो रहें थे।

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विक्रमादित्य सिंह ने केंद्र सरकार के पेट्रोल व डीजल पर से केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी कम करने के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देर आए दरुस्त आए। उन्होंने कहा कि पिछले लंबे समय से लोग पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से परेशान हो गए थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चार उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद केंद्र सरकार ने इसके मूल्यों में कुछ कटौती कर लोगों को थोड़ी राहत देने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि चार राज्यों के चुनावों तक इसके दामों में कुछ स्थिरता रही पर चुनावों के तुरंत बाद ही सरकार ने इसके मूल्यों में भारी बढ़ोतरी कर लोगों को अपनी जीत का इसके मूल्यों में बढ़ोतरी का तोहफा दिया था।

उन्होंने कहा कि एलपीजी सिलेंडर आज एक हजार से ऊपर चला गया है इसके मूल्यों में कोई कटौती नही की गई है। देश में प्रधानमंत्री की उज्जवला योजना दम तोड़ रही है, अब सरकार ने इन्हें भी 200 रुपए की सब्सिडी का ऐलान कर ऊंट के मुंह में जीरा देने का प्रयास किया है।

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि लोगों को बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिये ठोस उपायों की बहुत जरूरत है। चुनाव के समय इस प्रकार की राहतें चुनाव में लाभ लेने के लिए  और ज्वलंत मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की एक राजनीतिक मंशा के अतिरिक्त कुछ नहीं है। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि सरकार इस घाटे की भरपाई किसी अन्य टैक्स से कर सकती है जो लोगों के साथ धोखा होगा।


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