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    Himachal Landslide: जानलेवा बनते जा रहे हिमाचल के पहाड़, आखिर क्‍या है वजह, भयावह हैं आंकड़े

    By Rajesh Kumar SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 12 Aug 2021 04:57 PM (IST)

    Kinnaur Landslide हिमाचल प्रदेश में पहाड़ दरकना नई बात नहीं है। लेकिन बीते कुछ समय से नुक्‍सान की ज्‍यादा खबरें आने लगी हैं। पहले मलबा गिरने की सूचनाए ...और पढ़ें

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    पहाड़ दरकने से प्रदेश में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।

    धर्मशाला, जेएनएन। Kinnaur Landslide, हिमाचल प्रदेश में पहाड़ दरकना नई बात नहीं है। लेकिन बीते कुछ समय से नुक्‍सान की ज्‍यादा खबरें आने लगी हैं। पहले मलबा गिरने की सूचनाएं जरूर मिलती थीं, लेकिन जानी नुक्‍सान किन्‍नौर व कोटरोपी जैसा नहीं होता था। लेकिन अब इन हादसों में एकाएक बढ़ोतरी हो गई है। इसके लिए मानवीय भूल ही जिम्‍मेवार है। पहाड़ दरकने से प्रदेश में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। लगातार हो रही कट‍िंग सहित भूकंप व भारी बारिश पहाड़ दरकने का कारण बनती है। इसके अलावा पहाड़ों में स्‍थापित हाइड्रो प्रोजेक्‍ट भी इसके लिए बराबर जिम्‍मेदार हैं। प्रोजेक्‍ट निर्माण के दौरान टनल निकालने व सड़कें बनाने के लिए पहाड़ों की अंधाधुंध कटिंग की जाती है। ऐसे में प्र‍कृति अपना रौद्र रूप दिखा रही है।

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    यह भी पढ़ें: Kinnaur Landslide: किन्‍नौर में मलबे से 13 शव निकाले, आइटीबीपी ने सुबह चार बजे से चलाया रेस्‍क्‍यू आपरेशन

    पहाड़ों पर अधिक बारिश होने से गिर रही चट्टानें : रंधावा

    शिमला। जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक ऊंचाई वाले पहाड़ों पर बारिश अधिक होना चट्टïानें व पत्थर गिरने का बड़ा कारण बन रहा है। राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वरिष्ठ विज्ञानी एसएस रंधावा ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बढ़ेंगी। इसका कारण पहाड़ों में गोल पत्थर के बजाय स्लेट वाला पत्थर होता है। बारिश के बाद पहाड़ों पर धूप खिलने से चट्टानें फैलने से खिसकती हैैं। पहाड़ों पर वनस्पति कम या नाममात्र होने से पत्थरों को मिट्टी की पकड़ नहीं रहती। किन्नौर, लाहुल-स्पीति, कुल्लू, चंबा, मंडी व कांगड़ा जिले के कुछ हिस्से में चट्टाने गिरने की घटनाएं होती रहती हैं।

    भूस्‍खलन से हुए बड़े हादसे

    • 25 जुलाई 2021 : किन्नौर जिले के बटसेरी में पहाड़ टूटने से नौ सैलानियों की मौत।
    • 12 जुलाई 2021 : कांगड़ा जिले के शाहपुर के रुलेहड़ गांव में भूस्खलन से 10 लोगों की मौत।
    • 12 अगस्त 2017 : पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटरोपी में भूस्खलन में दो बसों समेत कई वाहन दबे, 49 की गई जान।
    • 23 जुलाई 2015 : चट्टान गिरने से बस अनियंत्रित होकर पार्वती नदी में गिरी, 23 लोगों की मौत।
    • 18 अगस्त 2015 : मणिकर्ण के ऐतिहासिक गुरुद्वारा में चट्टान गिरी, आठ की मौत।
    • 18 अगस्त 2010 : मंडी जिले के बल्ह के हटनाला में भूस्खलन से एक ट्रक खाई में गिरा, 45 लोगों की मौत।
    • 30 जुलाई,2021 : सिरमौर में पांवटा शिलाई हाटकोटी नेशनल हाईवे का करीब डेढ़ सौ मीटर का हिस्सा बड़वास के समीप पूरी तरह ध्वस्त।

    अन्य बड़े हादसे

    • 9 अप्रैल 2018 : नूरपुर में खाई में गिरी स्कूल बस, 23 बच्चों समेत 27 की मौत
    • 20 अप्रैल, 2017 : यात्रियों से भरी उत्तराखंड की ओवरलोड निजी बस शिमला के गुम्मा में खाई में गिरी, 45 की मौत
    • 5 नवंबर, 2016 : मंडी के बिंद्रावणी में ब्यास में गिरी बस, 17 की मौत।
    • 20 मई, 2016 : चंबा में बस हादसे में 14 मरे, 31 घायल
    • 23 जुलाई, 2015 : कुल्लू में पार्वती नदी में गिरी बस, 31 लोग बहे
    • 21 अगस्त, 2014 : किन्नौर के रुतरंग में बास्पा नदी में गिरी बस 23 की मौत, 20 घायल
    • 27 सितंबर, 2013 : रेणुका में ददाहू-टिक्कर संपर्क मार्ग पर निजी बस गहरी खाई में गिरी। बस सवार सभी 21 लोगों की मौत
    • 8 मई, 2013 : मंडी के झीड़ी में जोगणी माता मंदिर के पास ब्यास नदी में समाई बस, 40 मरे
    • 11 अगस्त, 2012 : चंबा-धुलाड़ा मार्ग पर गागला के पास बस हादसे में 52 मरे।