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युद्ध के बजाय कोर्ट में लड़ी दिव्यांगता पेंशन की लड़ाई, हिमाचल हाई कोर्ट ने नौ फीसद ब्याज सहित पेंशन देने का दिया आदेश, जानिए मामला

Himachal High Court Order हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भारत-तिब्बत पुलिस बल (आइटीबीपी) की नौवीं बटालियन के कमांडेंट व गृह मंत्रालय के उस आदेश को रद कर दिया है जिसके तहत उन्होंने एक सैनिक को केवल 40 प्रतिशत दिव्यांगता के आधार पर पेंशन देने से मना कर दिया था।

By Virender KumarEdited By: Published: Sun, 02 Jan 2022 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jan 2022 11:30 PM (IST)
युद्ध के बजाय कोर्ट में लड़ी दिव्यांगता पेंशन की लड़ाई, हिमाचल हाई कोर्ट ने नौ फीसद ब्याज सहित पेंशन देने का दिया आदेश, जानिए मामला
हिमाचल हाई कोर्ट ने नौ फीसद ब्याज सहित पेंशन देने का आदेश दिया। जागरण आर्काइव

शिमला, विधि संवाददाता। Himachal High Court Order, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भारत-तिब्बत पुलिस बल (आइटीबीपी) की नौवीं बटालियन के कमांडेंट व गृह मंत्रालय के उस आदेश को रद कर दिया है, जिसके तहत उन्होंने एक सैनिक को केवल 40 प्रतिशत दिव्यांगता के आधार पर पेंशन देने से मना कर दिया था।

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यह निर्णय पारित करते हुए न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि मामला उसकी थकी हुई कहानी को प्रकट करता है। एक सैनिक जिसे युद्ध के मैदान में लडऩे की बजाय अपनी दिव्यांगता पेंशन के लिए न्यायालय में लडऩा पड़ रहा है। अदालत ने अपील में पारित निर्णय में सरकार को निर्देश दिया कि पूर्व कांस्टेबल भीष्म सिंह को दिव्यांगता पेंशन का भुगतान तीन माह के भीतर नौ फीसद ब्याज सहित करे। कोर्ट ने भारत-तिब्बत पुलिस बल के पूर्व कांस्टेबल की अपील को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया, जिसकी बायीं आंख में चोट लगी थी व मेडिकल बोर्ड ने उसे कर्तव्यों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था।

अपील में दिए तथ्यों के अनुसार नौवीं बटालियन के कमांडेंट व गृह मंत्रालय ने अपीलकर्ता के दिव्यांगता पेंशन के दावे को केंद्रीय सिविल सेवा दिव्यांगता पेंशन का हवाला देते हुए रद कर दिया था। उनके अनुसार 60 फीसद से कम दिव्यांगता वाला व्यक्ति इस लाभ का हक नहीं रखता है।

अदालत ने कहा कि यह विवाद में नहीं है कि सेवा के दौरान अपीलकर्ता को 40 फीसद की सीमा तक दिव्यांगता का सामना करना पड़ा है। न्यायालय ने कहा कि हालांकि केंद्रीय सेवा दिव्यांगता पेंशन नियम यह स्पष्ट करते हैं कि दिव्यांगता केप्रत्येक प्रतिशत के लिए पेंशन की दरें दिव्यांगता के हिसाब से अलग-अलग तय की गई हैं। यहां तक कि 50 फीसद से कम पर मेडिकल बोर्ड की ओर से मूल्यांकन की गई दिव्यांगता के मामले में उसे 50 फीसद गिने जाने का भी हवाला दिया गया है। अदालत ने आगे कहा कि अपीलकर्ता उसकी सेवा पेंशन के अतिरिक्त दिव्यांगता पेंशन लेने का भी हक रखता है।


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