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हिमाचल में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के बीच स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम ने बनाया एक और आइसोलेशन वार्ड

Black Fungus Hospital ब्लैक फंगस के मरीज को उपचार देने के लिए नेरचौक मेडिकल कॉलेज में पांच बिस्तरों का आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिया है। पांच विभागों के डॉक्टरों की टीम ऐसे मरीज के उपचार के लिए काम करेगी।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 06:15 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 07:27 AM (IST)
हिमाचल में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के बीच स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम ने बनाया एक और आइसोलेशन वार्ड
ब्लैक फंगस के मरीज के लिए नेरचौक मेडिकल कॉलेज में पांच बिस्तरों का आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिया है।

मंडी, जागरण संवाददाता। Black Fungus Hospital, ब्लैक फंगस के मरीज को उपचार देने के लिए नेरचौक मेडिकल कॉलेज में पांच बिस्तरों का आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिया है। पांच विभागों के डॉक्टरों की टीम ऐसे मरीज के उपचार के लिए काम करेगी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इसके लिए पूरी व्यवस्था कर ली है। प्रदेश में ब्लैक फंगस का पहला मरीज नेरचौक मेडिकल कॉलेज से ही आइजीएमसी शिमला रेफर किया गया था। इसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कालेज के आई, इएनटी, डेंटल, मोइक्रोबायोलॉजी, मेडिसिन विभागों के डॉक्टरों की एक कमेटी गठित की है।

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यह कमेटी ब्लैक फंगस का मामला नेरचौक मेडिकल कॉलेज में आने के बाद तुरंत मरीज को आइसोलेशन वार्ड में दाखिल कर उसे किस तरह से इलाज दिया जाना है उस पर विचार करेगी। ब्लैक फंगस नाक, आंख, जबड़े के आस पास अधिक पाया जाता है। ऐसे में उसकी क्या स्थिति है और उसका सही आकलन कर विशेषज्ञों के राय के अनुसार इलाज दिया जाएगा। अगर स्थिति अधिक गंभीर होती है तो उसे शिमला या अन्य जगह रैफर करने के लिए कमेटी अपनी राय देगी।

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बता दें कि प्रदेश में ब्लैक फंगस से दो लोगों की मौत हो चुकी है। यही कारण है कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज ने मरीज की जान बचाने के लिए प्रभावी कदम अपने स्तर पर उठाए हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आरसी ठाकुर ने कहा कि ब्लैक फंगस का अगर कोई मरीज आता है तो उसके उपचार के लिए अलग से पांच बिस्तर का आइसोलेशन वार्ड बना दिया गया है। साथ ही पांच विभागों के डॉक्टरों की टीम ऐसे मरीज पर नजर रखेगी।


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