कैग की रिपोर्ट में खुलासा: हिमाचल का राजस्व घाटा बढ़ा, जानिए एक साल में कितनी हुई बढ़ोतरी
कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले खर्चों में तीन फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
धर्मशाला, जेएनएन। नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने हिमाचल सरकार के आर्थिक प्रबंधन की पोल खोल दी है। कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले खर्चों में तीन फीसद की बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश का राजस्व घाटा ही एक साल में 922 करोड़ रुपये बढ़ गया है। इसी वजह से ही हिमाचल कर्ज के मकडज़ाल में फंस रहा है। धर्मशाला के तपोवन स्थित विधानसभा में शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शनिवार को कैग की रिपोर्ट मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पेश की। इस रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2017-18 में सरकार की आय-व्यय का लेखा-जोखा दर्शाया गया है।
कैग ने बेशक सीधे तौर पर कर्ज के मकडज़ाल का उल्लेख नहीं किया लेकिन रिपोर्ट में प्रदेश की जो तस्वीर प्रस्तुत की है, उससे साफ है कि आने वाले दस साल में सरकार को 21 हजार 574 करोड़ के कर्ज व 9483 करोड़ के ब्याज का भुगतान करना है। वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही के दौरान सरकार 65 से 97 फीसद खर्च कर रही है। केवल मार्च में ही 58 फीसद राशि खर्च की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 के 2948 करोड़ रुपये के मुकाबले 2017-18 प्रदेश का राजस्व घाटा बढ़कर 3870 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह राजस्व घाटे में एक साल में 922 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। 14वें वित्त आयोग और केंद्र से मिले अनुदान की वजह से 2015-16 और 2016-17 में सरकार राजस्व सरप्लस की स्थिति में रही।
कैग रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-17 में प्रदेश के राजस्व प्राप्तियां 26264 करोड़ थीं, जबकि 2017-18 में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ राजस्व प्राप्तियां 27367 करोड़ हो गईं। इसके मुकाबले अगर राजस्व व्यय को देखा जाए तो 2016-17 में यह राशि 25344 करोड़ रुपये थी। 2017-18 में राजस्व व्यय 27053 करोड़ रुपये हुआ। इस तरह राजस्व व्यय में सात फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। कैग की रिपोर्ट से साफ है कि राज्य में सरकार की आमदनी और खर्च में तीन फीसद का सीधा अंतर है। आय के मुकाबले व्यय अधिक होने की वजह से सरकार को आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।