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बिना हथियार लड़े थे आतंकियों से, अब सरकार भूली बलिदान; शहीद के गांव में सड़क तक नहीं

Govt not fulfil promiss with martyr jagdish chand family शहीद जगदीश चंद का गांव हूं। गांव में सुविधाओं की बात करूं तो आज भी सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 12:24 PM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 12:24 PM (IST)
बिना हथियार लड़े थे आतंकियों से, अब सरकार भूली बलिदान; शहीद के गांव में सड़क तक नहीं
बिना हथियार लड़े थे आतंकियों से, अब सरकार भूली बलिदान; शहीद के गांव में सड़क तक नहीं

कांगड़ा, जेएनएन। मैं जिला कांगड़ा से सटे चंबा की बलाणा पंचायत के बासा के शहीद जगदीश चंद का गांव हूं। गांव में सुविधाओं की बात करूं तो आज भी सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है। जब जगदीश चंद शहीद हुए थे तो सरकार ने कई घोषणाएं कीं लेकिन हुआ कुछ नहीं। शहीद की पत्नी को भी मलाल है कि आज तक सरकार एक हैंडपंप तक नहीं लगा पाई। अन्य घोषणाओं को पूरा करना तो दूर की बात है। जगदीश चंद बिना हथियार आतंकियों से भिड़ गए थे। लेकिन सरकार ने आज उनका बलिदान भूला दिया है।

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जगदीश चंद की शहादत को तीन वर्ष बीत चुके हैं लेकिन घोषणाएं कागजों में सिमटकर रह गई हैं। गांव के हर शख्स को जनवरी 2016 का वह दिन आज भी याद है जब उनका बेटा पठानकोट एयरबेस में आतंकियों से बिना हथियार भिड़ गया था। स्थानीय लोग बताते हैं कि वर्ष 2005 में इस गांव के लिए कच्ची सड़क बनी थी, लेकिन पक्की नहीं हो सकी। जब भी इसकी हालत खराब होती है तो लोग पैसे इकट्ठे कर खुद ही मरम्मत करवा लेते हैं। बारिश होने पर सड़क दलदल बन जाती है। इस दौरान यदि कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो मुख्य मार्ग तक पहुंचाने के लिए पालकी का सहारा लेना पड़ता है।

ये की गई थी घोषणाएं

बासा गांव के लिए तीन किलोमीटर पक्की सड़क।

हैंडपंप की व्यवस्था।

मोबाइल टावर लगाना।

शहीद के नाम का मुख्य सड़क में गेट बनाना।

सिहुंता कॉलेज का नाम शहीद जगदीश चंद के नाम पर करना।

उनके नाम पर डिस्पेंसरी का नाम।

बिना हथियार भिड़ गए थे आतंकियों से

पठानकोट एयरबेस पर हमले के दिन सुबह के करीब छह बजे थे। जगदीश चंद चाय पीने निकले ही थे कि उन्होंने तीन आतंकवादियों को हथियारों सहित कैंप की तरफ जाते देखा। उस समय वह निहत्थे थे और एक आतंकवादी से बंदूक छीन उसे मार गिराया। इस दौरान अन्य दो आतंकियों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी थी।

यह बाेलीं, शहीद की पत्‍नी

सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं किया। जब पति शहीद हुए थे तो घोषणा की थी कि उनके नाम पर प्रवेशद्वार बनेगा। सांसद शांता कुमार ने मोबाइल टावर लगाने का वादा किया था। तीन किलोमीटर सड़क पक्का करने की बात भी पूरी नहीं हुई है। इसके अलावा हैंडपंप लगाने का वादा भी किया था। घोषणाएं सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं। स्नेह लता, पत्नी शहीद जगदीश चंद।

शहीद जगदीश के गांव तक सड़क पहुंचाना मेरा दायित्व ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी है। हर हाल में शहीद के गांव को इस वर्ष पक्की सड़क से जोड़ा जाएगा। विक्रम सिंह जरयाल, विधायक भटियात विधानसभा क्षेत्र।

शहीद जगदीश के परिवार के सदस्य को नौकरी देने व सड़क बनाने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। प्रशासन की कोशिश है कि जल्द घोषणाओं को पूरा किया जाए। हरिकेश मीणा, उपायुक्त।


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