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कोरोना काल में खाली जमीन बोनाफाइड हिमाचली को लीज पर देने की तैयारी, फसलों का पैटर्न भी बदलने की कोशिश

कोरोना काल में अब बंजर धरा और अन्य राज्यों से लौटे हिमाचली एक-दूसरे को आधार देंगे। प्रदेश सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 01:05 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 01:05 PM (IST)
कोरोना काल में खाली जमीन बोनाफाइड हिमाचली को लीज पर देने की तैयारी, फसलों का पैटर्न भी बदलने की कोशिश
कोरोना काल में खाली जमीन बोनाफाइड हिमाचली को लीज पर देने की तैयारी, फसलों का पैटर्न भी बदलने की कोशिश

शिमला, रमेश सिंगटा। कोरोना काल में अब बंजर धरा और अन्य राज्यों से लौटे हिमाचली एक-दूसरे को आधार देंगे। प्रदेश सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है। बंजर जमीन का दोहन करने के लिए कमेटी गठित कर बोनाफाइड हिमाचलियों को लीज पर देने की तैयारी है। इससे बंजर जमीन पर हरियाली आएगी तो अन्य राज्यों से रोजगार गंवा चुके लोगों को रोजी-रोटी का साधन मिल जाएगा।  एक अनुमान के अनुसार की साढ़े तीन लाख लोग अन्य राज्यों से लौटे हैं। इन्होंने रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर पलायन किया था, लेकिन अब संकट में पुश्तैनी जमीन काम आ रही है।

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस संबंध में बजट घोषणा की थी। अब इस घोषणा को अमलीजामा पहनाया जाने लगा है। कृषि विभाग ने इसे लेकर प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया है। प्रस्तावित कमेटी के मुखिया कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय होंगे। इसमें छह अन्य विधायक सदस्य होंगे। सरकार को भेजे प्रस्ताव में कमेटी की अधिसूचना का आग्रह किया गया है।

कमेटी में सत्ता और विपक्ष दोनों के बराबर सदस्य होंगे। इनमें सत्ता पक्ष की ओर से विधायक विनोद कुमार, विधायक रङ्क्षवद्र, विधायक इंद्र सिन्ह, विपक्ष की ओर से विधायक आशीष बुटेल, विधायक विनय कुमार और विधायक राकेश सिंघा शामिल हैं।

  • 75 हजार हेक्टेयर जमीन है बंजर
  • 9.61 हजार हेक्टेयर है कृषि जोत 

कृषि योग्य जमीन की स्थिति

हिमाचल प्रदेश में कृषि योग्य 6 लाख हेक्टेयर जमीन है। इनमें से 75 हजार हेक्टेयर बंजर है। एक हेक्टेयर में साढ़े बारह बीघे जमीन होती है। कुल 9 लाख 61 हजार कृषि जोतें हैं। जबकि राशनकार्ड को अगर आधार माने तो 14 लाख परिवार हैं।

लॉकडाउन से घरों में आए परिवार

लॉकडाउन के कारण बाहरी राज्यों में नौकरी अथवा रोजगार पाने वाले लोग वापस घर आए। प्रदेश के अंदर भी पहले लॉकडाउन में कर्मचारियों को भी कार्यालय आने की मनाही थी, इस कारण सभी लोग गांवों की ओर गए। दूसरे प्रदेश से आए हिमाचलियों ने भी परिवार के साथ खेतों में हाथ बंटाया। कई जगहों पर सफलताओं की नई कहानी गढ़ी जाने लगी। अब ये लोग फसलों का पेट्रन भी बदलने की सोच रहे हैं।

विधायक ने भी चलाया हल

रेणुका जी क्षेत्र के विधायक विनय कुमार ने लॉकडाउन के दौरान अपने खेतों में बैलों के माध्यम से फसल की बुआई की। अदरक बीजा और इनकी फोटो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुईं।

  • खाली पड़ी जमीन को कितनी राशि पर लीज पर देना है, इस बारे में कमेटी तय करेगी। कमेटी गठित करने का प्रस्ताव तैयार है। इसकी सरकार से स्वीकृति मांगी गई है। -डॉ. आरके कौंडल, कृषि निदेशक।
  • लॉकडाउन से करीब साढ़े तीन लाख लोग वापस आए हैं। इनके आने से बंजर पड़ी जमीन में फिर से हरी होगी। फसलों का भी पेट्रन बदलेगा। इनमें सरकार के सहयोग की जरूरत रहेगी। -डॉ. केएस तंवर, अध्यक्ष, किसान सभा।

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