हिमाचल में मंत्रिमंडल विस्तार जल्द, राकेश व सुखराम चर्चा में; निगम-बोर्ड में भी ताजपोशी की तैयारी
बेशक इससे पूर्व भी मंत्रिमंडल विस्तार कई बार टल चुका है लेकिन इस बार कई कारणों से मंत्रिमंडल विस्तार की हलचल शुरू हो गई है।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। बेशक इससे पूर्व भी मंत्रिमंडल विस्तार कई बार टल चुका है लेकिन इस बार कई कारणों से मंत्रिमंडल विस्तार की हलचल शुरू हो गई है। सब ठीक रहा तो जल्द ही दो मंत्री शपथ भी ले सकते हैं। डॉ. राजीव बिंदल के इस्तीफे के बाद यह तय हो चुका है कि जयराम सरकार में खाली पड़े मंत्रियों के तीन पद शीघ्र भरे जाएंगे। मंत्रिपद लंबे अर्से से खाली चल रहे हैं। आने वाले दिनों में किसी भी समय विधायकों को नए मंत्रियों के रूप में शपथ दिलाई जा सकती है।
साथ ही सतपाल सत्ती, महेंद्र धर्माणी और रणधीर शर्मा का भी सरकार में पुनर्वास तय हो चुका है। प्रदेश भाजपा के इतिहास में सर्वाधिक लंबी अवधि तक अध्यक्ष पद पर रह चुके सतपाल सिंह सत्ती को उनकी पसंद का दायित्व मिलना निश्चित है। सार्वजनिक उपक्रमों में बीस सूत्रीय कार्यक्रम, भूमि बैंक और आपदा प्रबंधन बोर्ड आदि में नियुक्ति होगी। बजट सत्र के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार तय माना जा रहा था मगर कोरोना काल शुरू होने के कारण मंत्रिमंडल विस्तार का मामला खटाई में पड़ गया था।
मंत्रियों के रिक्त पदों और निगम-बोर्ड में नियुक्तियां तय मानी जा रही हैं। जानकारों का कहना है कि भाजपा के भीतरी वातावरण के लिए ये ताजपोशियां अनिवार्य हो गई हैं। खास तौर पर कांगड़ा से भी कुछ स्वर उठ रहे हैं जिन्हें इस कदम से साधा जा सकेगा।
एक अनार सौ बीमार
यह तय माना जा रहा है कि सरकार में खाली पड़े मंत्रियों के तीन पदों में से दो भरे जाएंगे। एक पद रिक्त रखा जाएगा, ताकि भाजपा विधायकों में उम्मीदें जिंदा रहें। ऐसा करने से कोई भी विधायक आक्रामक तेवर नहीं दिखा सकता है। कांगड़ा जिला के नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के वरिष्ठ विधायक राकेश पठानिया और सिरमौर जिला के पांवटा साहिब से वरिष्ठ विधायक सुखराम चौधरी मंत्री पद की दौड़ में बहुत आगे हैं। राजनीतिक संतुलन कायम रखने के परिदृश्य के हिसाब से भी दोनों विधायकों का मंत्री बनना तय माना जा रहा है।
सत्ती जो चाहेंगे
सतपाल सिंह सत्ती जहां चाहेंगे, सरकार उन्हें उसी निगम-बोर्ड में नियुक्ति प्रदान कर सम्मान प्रदान करेगी। रणधीर शर्मा दो बार विधायक रह चुके हैं और संयोग से पिछले दोनों नेता चुनाव हारे थे। सत्तारूढ़ भाजपा चाहेगी कि अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ऊना व श्रीनयनादेवी सीट पर जीतकर वापस लौटना चाहेगी। दोनों विधानसभा सीटों को कांग्रेस ने एक दशक के बाद जीतकर भाजपा को हाशिए पर धकेला। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी महेंद्र धर्माणी को निगम-बोर्ड में नियुक्ति दिए जाने की खूब चर्चा है।