हिमाचल प्रदेश में होगी विशेष पुलिस अधिकारियों की भर्ती, आउटडोर टेस्ट और साक्षात्कार से होगा चयन
Special Police Officer Bharti हिमाचल प्रदेश में अब विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) की भर्ती होगी।
शिमला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में अब विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) की भर्ती होगी। दिहाड़ीदारों की तर्ज पर इन्हें 89 दिन का मानदेय दिया जाएगा। एक दिन के ब्रेक के बाद आचरण के अनुसार एसपीओ का सेवाकाल बढ़ाया जाएगा, लेकिन अधिकतम सेवाकाल पांच साल होगा। गृह विभाग ने भर्ती से जुड़े रूल्स की अधिसूचना जारी कर दी है। भर्ती के लिए लिखित परीक्षा नहीं होगी। 35 अंक का आउटडोर टेस्ट होगा, जबकि साक्षात्कार के पांच अंक होंगे।
भर्ती पुलिस अधीक्षक की अगुआई वाली तीन सदस्यीय कमेटी करेगी। इसके लिए शैक्षणिक योग्यता दसवीं पास रखी गई है। इसके लिए अभ्यर्थी अपने थाना क्षेत्र में ही आवेदन कर सकेगा। भर्ती के बाद अगर कोई अपराध में संलिप्त होता है तो पुलिस अधीक्षक बिना नोटिस दिए सेवाएं समाप्त कर देंगे। माह में चार अवकाश मिलेंगे, लेकिन संबंधित थाना प्रभारी इसे देने से इन्कार भी कर सकते हैं। एसपीओ गश्त, नाके में हाथ बंटाएंगे। वे गांवों में इंटेलीजेंस खासकर अज्ञात व्यक्तियों से जुड़ी सूचनाएं एकत्र करेंगे। संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक हर माह की 10 तारीख को इनकी परफॉरमेंस रिपोर्ट एडीजी एपीटी या फिर उस अधिकारी को भेजेंगे, जिसे डीजीपी अधिकृत करेंगे।
आउटडोर टेस्ट व शैक्षणिक योग्यता
आउटडोर टेस्ट 35 अंक का होगा। 800 मीटर की दौड़ के अधिकतम पांच अंक होंगे। लंबी कूद के भी अधिकतम पांच अंक होंगे। दसवीं के चार अंक, जमा दो और इससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता के पांच अंक रखे गए हैं। ऊंचाई के पांच अंक, खेलकूद सांस्कृतिक गतिविधियों के अधिकतम पांच अंक, एनसीसी सर्टिफिकेट के पांच अंक, एसएसबी स्वयंसेवी प्रशिक्षण के पांच अंक रखे गए हैं।
पांच अंक का होगा साक्षात्कार
साक्षात्कार पांच अंक का होगा। पुलिस अधीक्षक भर्ती अधिकारी होंगे। वह ही मैरिट लिस्ट तैयार करेंगे। भर्ती के लिए आयु 18 से 35 साल होगी। एसपीओ का दस लाख का बीमा करवाया जाएगा। इन्हें एक सप्ताह की ट्रेनिंग मिलेगी। इंटेलीजेंस कलेक्शन कैसे करनी है, कैसे हथियार चलाने हैं, इसके बारे में ट्रेङ्क्षनग दी जाएगी।
अभी चंबा व लाहुल-स्पीति में हैं एसपीओ
अभी तक चंबा और लाहुल-स्पीति जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में ही एसपीओ तैनात हैं। इनकी तैनाती 1998 में तब हुई थी, जब आतंकियों ने कालाबन-सतरूंडी में नरसंहार किया था।