विज्ञानी दृष्टिकोण से हो रहा जनसमस्याओं का समाधान, इंजीनियर से आइएएस बने हैं 26 अफसर, जानिए
Engineers day एक अरसे से इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के युवा अधिक संख्या में प्रशासनिक सेवा में कदम रख रहे हैं।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। एक अरसे से इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के युवा अधिक संख्या में प्रशासनिक सेवा में कदम रख रहे हैं। चाहे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) हो या हिमाचल प्रशासनिक सेवा(एचएएस)। प्रदेश में सेवारत आइएएस अफसरों में से 26 इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि से हैं। सभी प्रशासन को अधिक कुशलता से चला रहे हैं। मामले को तर्क से सुलझाने के साथ-साथ विज्ञानी दृष्टिकोण से समाधान निकला जा रहा है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान का कहना है वैसे तो हर प्रशासनिक अधिकारी कामकाज का बेहतर संचालन करता है, मगर इंजीनियरिंग करने के बाद प्रशासनिक सेवा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण शामिल हो जाता है। तकनीकि से हर समस्या का समाधान निकालने में मदद मिलती है। कहा जा सकता है कि ऐसे अधिकारियों में तथ्यात्मक समझ अधिक रहती है।
प्रधान सचिव कृषि एवं राजस्व ओंकार शर्मा का कहना है हर इंजीनियर तर्क के आधार पर काम करता है और किसी भी विषय को इसी आधार पर हल निकालने का प्रयास करता है। कोई भी शिक्षा कभी न कभी जरूर काम आती है। हमारे दैनिक जीवन में भी इंजीनियरिंग का महत्व है। छोटे से बड़ा काम इसी के जरिये होता है।
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जगदीश चंद्र शर्मा का कहना है मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। मैं समझता हूं कि इंजीनियरिंग का हर कदम पर इस्तेमाल हो रहा है। कभी खेती बैलों से होती थी अब ट्रैक्टर और कई अन्य उपकरण आ गए हैं। शासन-प्रशासन को कुशलता से चलाने में और अधिक परिणाम देने में विज्ञान की पढ़ाई काम आती है।
इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के आइएएस अफसर
बीके अग्रवाल, संजीव गुप्ता, संजय गुप्ता, आरडी धीमान, कुंद्रु संजय मूर्थी, जगदीश चंद्र शर्मा, कमलेश कुमार पंत, ओंकार चंद शर्मा, भरत हरवंश लाल खेडा, रार्थर डावूड नजीम, मनीष गर्ग, देवेश कुमार, पुष्पेंद्र राजपूत, कदम संदीप वसंत, आशीष सिंहमार, मानसी सहाय ठाकुर, श्रग्वेद मिलिंद ठाकुर, राकेश कुमार प्रजापति, श्रषिकेश मीणा, हेमराज बेरवा, कमल कांत सरोच, नीरज शर्मा, आबिद हुसैन सादिक, अरिंदम चौधरी और आशुतोष गर्ग शामिल हैं।