Farmers Protest : सेब बागवानों के आंदोलन से सूझबूझ से निपटी हिमाचल सरकार, नहीं तो होता यह नुकसान
Farmers Protest सेब बागवानों के आंदोलन को थामने में सरकार फिलहाल सफल रही है। सूझबूझ से काम न लिया होता तो विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा हाथ लगता। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि कोरोना काल में भी सेब ने प्रदेश की आर्थिकी को टिकाए रखा।
शिमला, राज्य ब्यूरो। Farmers Protest, सेब बागवानों के आंदोलन को थामने में सरकार फिलहाल सफल रही है। सूझबूझ से काम न लिया होता तो विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा हाथ लगता। संघर्ष जारी रहता तो मानसून सत्र में सत्ता पक्ष की घेराबंदी होती, लेकिन 27 संगठनों के संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान, सह संयोजक संजय चौहान ने कहा है कि वे सरकार के वादे, हाईपावर कमेटी की बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार 10 दिन तक इंतजार करेंगे। अगर इस बीच कुछ न हुआ तो फिर शिमला से भी आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि सेब की साढ़े पांच हजार करोड़ की आर्थिकी संकट में है। इसे बचाने के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने होंगे। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि कोरोना काल में भी सेब ने प्रदेश की आर्थिकी को टिकाए रखा।
सेब सीजन जोरों पर
सेब सीजन अभी जोरों पर चला हुआ है। बागवानों का कहना है कि उन्हें फसल के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। कोटखाई के प्रगतिशील बागवान प्रेम चौहान, प्रताप चौहान ने कहा कि अब उत्पादन लागत काफी बढ़ गई है। बागवानी क्षेत्र में चमक फीकी हो गई है। सेब कार्टन से लेकर खाद तक सब महंगी हो गई है। लाभ पहले से कम हो गया है। लागत बढऩे से अब बड़ा संकट मंडराने लगा है, अगर अभी समय रहते कदम न उठाए गए तो फिर हजारों करोड़ों की अर्थव्यवस्था को बचाना मुश्किल हो जाएगा।