आखिर क्यों बोले जयराम, रेगिस्तान को सींचने पर हमें मिला विस्थापन पढि़ए पूरी बात
हिमाचल प्रदेशके मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उत्तर क्षेत्र परिषद की बैठक में पौंग बांध विस्थापितों का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि हिमाचल प्रदेश ने रे ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, शिमला : पौंग बांध बनने से राजस्थान में हरियाली आई और मरु भूमि के लोगों की प्यास बुझी, लेकिन पहाड़ के 16 हजार से अधिक लोग विस्थापित होकर उजड़ गए। आधे विस्थापितों को ही राजस्थान सरकार ने वादे के मुताबिक भूमि दी, लेकिन आधे अब भी विस्थापन का दंश झेल रहे हैंं। ये बात जयपुर में शनिवार को उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कही। उन्होंने केंद्र से पौंग बांध विस्थापितों सहित सात प्रमुख मामलों को उठाया। 30वीं बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने केंद्र से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार पौंग बांध विस्थापितों के लंबित मामलों का शीघ्र समाधान करने का आग्रह किया।
पौंग बांध के निर्माण से 16352 विस्थापित हिमाचलियों के पुनर्वास के लिए राजस्थान में 2.25 लाख एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी। इनमें से केवल 8713 को भूमि या मुरब्बे मिले।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की अध्यक्षता की।
इसमें कानून एवं व्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा, सीमा संबंधी मामले और अंतरराज्यीय जल संबंधी मामलों की चर्चा करने के लिए आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और लेफ्टिनेंट गवर्नर ने भाग लिया।
पिंजौर-बद्दी-नालागढ़ रेल से शीघ्र जुड़े
जयराम ने कहा कि बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में रेल मार्ग के लंबित मुद्दे का शीघ्र समाधान होना चाहिए। इस रेल मार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य हिमाचल ने पूरा कर लिया, जबकि चंडीगढ़ की ओर से हरियाणा प्रक्रिया पूरी कर रहा है। यहां तक फोरलेन भी बने।
बीबीएमबी में मिले 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी 7.19 प्रतिशत है, परन्तु राज्य को इसमें पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा तक प्राप्त नहीं है। भाखड़ा बांध परियोजना में प्रदेश की एक लाख एकड़ से अधिक उपजाऊ भूमि और ब्यास नदी पर पौंग परियोजना के कारण डैहर में 65,563 एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है। लेकिन, प्रदेश को इन जलाशयों से उत्पन्न बिजली और पानी के उचित उपयोग का अधिकार नहीं दिया गया है।

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