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क्षेत्रीय संतुलन की कोशिश में कम हुआ कांगड़ा का कद, हमीरपुर का पलड़ा सबसे भारी; पढ़ें खबर

Himachal Cabinet Expansion सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार में चारों ही संसदीय क्षेत्रों में क्षेत्रीय संतुलन की कोशिश तो की लेकिन हमीरपुर और शिमला संसदीय क्षेत्र भारी दिख रहे हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 03:59 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 03:59 PM (IST)
क्षेत्रीय संतुलन की कोशिश में कम हुआ कांगड़ा का कद, हमीरपुर का पलड़ा सबसे भारी; पढ़ें खबर
क्षेत्रीय संतुलन की कोशिश में कम हुआ कांगड़ा का कद, हमीरपुर का पलड़ा सबसे भारी; पढ़ें खबर

शिमला, जेएनएन। जयराम ठाकुर की सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में ही चारों ही संसदीय क्षेत्रों में क्षेत्रीय संतुलन की कोशिश तो की, लेकिन हमीरपुर और शिमला संसदीय क्षेत्र अभी भारी ही दिख रहे हैं। इसके अलावा कांगड़ा का कद जरूर कम आंका जा रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद शिमला संसदीय क्षेत्र से पार्टी अध्यक्ष के अलावा तीन मंत्री हो गए हैं। इसमें शिमला से सुरेश भारदाज, कसौली से डाॅ. राजीव सहजल और पांवटा से सुखराम चौधरी मंत्री बने हैं। इसी तरह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से सबसे ज्यादा मंत्री हैं। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से वीरेंद्र कंवर, बिक्रम ठाकुर, महेंद्र सिंह ठाकुर और राजेंद्र गर्ग शामिल हैं। महेंद्र सिंह ठाकुर मंडी जिले से हैं, लेकिन संसदीय क्षेत्र हमीरपुर है। वहीं बिक्रम ठाकुर का जिला कांगड़ा है, लेकिन संसदीय क्षेत्र हमीरपुर है। ऐसे में इस संसदीय क्षेत्र का राजनीतिक भार काफी ज्यादा है।

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वहीं कांगड़ा पर नजर दौड़ाएं तो कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से दो मंत्री के साथ विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों ही है, लेकिन कांगड़ा से मंत्रियों की संख्या पहले के मुकाबले कम हो गई है। लोकसभा चुनाव से पहले कांगड़ा से तीन मंत्री और विधानसभा उपाध्यक्ष था। अब दो मंत्री के अलावा विधानसभा में के अध्‍यक्ष व उपाध्‍यक्ष कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से हैं।

मंडी संसदीय क्षेत्र का भी यही हाल है। मंडी संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री खुद हैं। दूसरा मंत्री संसदीय क्षेत्र से लाहुल स्पीति से विधायक डाॅ. रामलाल मार्कंडेय हैं। मंडी को भी लोकसभा चुनाव के बाद से सरकार के राजनीतिक भार में नुकसान हुआ है। पूर्व मंत्री अनिल शर्मा की जगह मंडी से मंत्री मिलने की उम्मीद पूरी तरह से खत्म हो गई है। हालांकि राजनीतिक समझ रखने वाले इसे यह कहते हैं कि हाथी के पांव के नीचे सभी के पांव होते हैं। ऐसे में जहां से मुख्यमंत्री खुद हो, उसका भार सबसे ज्यादा होता है। इसलिए मंडी के राजनीतिक कद के बराबर फिलहाल किसी संसदीय क्षेत्र का राजनीतिक कद नहीं हैं। दूसरी तरफ देखें तो हमीरपुर और शिमला संसदीय क्षेत्र राजनीतिक तौर पर ज्यादा भारी दिखाई दे रहा है।

जिला मंडी व कांगड़ा पर संसदीय क्षेत्र हमीरपुर

धर्मपुर मंडी जिला का हिस्सा है लेकिन संसदीय क्षेत्र के तौर पर हमीरपुर का हिस्सा है। इसी तरह उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर का हलका जसवां परागपुर कांगड़ा जिला में होने के बावजूद हमीरपुर संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा है।


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