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विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष पर हावी रही सरकार, जानिए क्‍या कुछ हुआ

Himachal Assembly Winter Session मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व उनके मंत्रियों ने तथ्यों पर आधारित तर्क देकर विपक्ष के वार को विफल कर दिया।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 09:12 AM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 09:12 AM (IST)
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष पर हावी रही सरकार, जानिए क्‍या कुछ हुआ
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष पर हावी रही सरकार, जानिए क्‍या कुछ हुआ

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। नेता प्रतिपक्ष के धरने से शुरू हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष ने सदन में कई मुद्दों पर सरकार को घेरने का प्रयास किया, लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व उनके मंत्रियों ने तथ्यों पर आधारित तर्क देकर विपक्ष के वार को विफल कर दिया। बात चाहे इन्वेस्टर्स मीट की हो, प्याज की बढ़ती कीमतों, अवैध खनन, धारा 118 के सरलीकरण या स्कूली वर्दी के आवंटन पर सदन में मचे बवाल की, मुख्यमंत्री ने राजनीतिक कौशल के बूते विरोधियों को चित कर दिया। इसी चतुराई से विपक्ष बैकफुट पर ही नजर आया।

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सदन में पहले ही दिन आगामी बजट सत्र से खाने पर मिलने वाली सबसिडी को त्यागने की घोषणा कर सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वह प्रदेश के राजस्व को बचाकर जनहित में लगाने पर विश्वास रखती है। सत्र के पहले ही दिन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को मुख्य गेट से प्रवेश नहीं दिया। मुख्य गेट से उन्हें रोकना सही भी था क्योंकि यहां से प्रवेश की अनुमति सिर्फ राज्यपाल, मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष को ही होती है। इस पर मुकेश ने हंगामा कर दिया और धरने पर बैठ गए।

सरकार सदन में प्रदेश हित पर चर्चा करने के उद्देश्य से पहुंची थी, इसलिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मुकेश अग्निहोत्री के पास गए और उन्हें मनाकर सदन में ले आए। पहले दिन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने अपने एजेंडे के मुताबिक ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट पर सरकार को घेरने का प्रयास किया। उनका प्रयास नियमों के विपरीत था, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष ने भी व्यवस्था नहीं दी। कोशिश विफल होते दिखी तो विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया। इन्वेस्टर्स मीट का प्रहार निशाने पर नहीं लगा तो विपक्ष के सदस्य प्याज के बढ़ते दाम एवं महंगाई के खिलाफ गले में प्याज की मालाएं पहनकर सदन में पहुंचे।

प्रश्नकाल अभी शुरू ही हुआ तो सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच नोकझोंक हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि विपक्ष ने सदन की परंपरा को लांघ दिया और विस अध्यक्ष पर ही आरोपों की झड़ी लगाते हुए उपचुनाव में प्रचार का आरोप जड़ दिया। विपक्ष की इस अव्यवस्था पर मुख्यमंत्री ने नसीहत दे डाली कि विपक्ष याद रखे कि वे हिमाचल विधानसभा सदन के सदस्य हैं।

हिमाचल को हिमाचल ही रहने दो पंजाब और बिहार मत बनाओ। इसके अलावा विपक्ष के अन्य आरोपों की काट सरकार के मंत्रियों ने भी कर डाली। कुल मिलाकर छह दिन तक चले शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने मुद्दों पर कई बार सरकार पर वार करने के प्रयास कर माहौल गर्म करने का प्रयास किया, लेकिन सरकार के पलटवार से विपक्ष के तरकश से निकले तीर निशाने पर लगने ही नहीं दिए और माहौल में ठंडक ही रही।


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