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गोपालपुर में चार साल बाद गूंजेगी शेर की दहाड़, गुजरात और हरियाणा से लाए गए शेर और चिंकारा

Gujrat Lions in himachal धौलाधार प्रकृति उद्यान एवं चिडिय़ाघर गोपालपुर में शेर और चिंकारा पहुंच गए हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 09:12 AM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 09:12 AM (IST)
गोपालपुर में चार साल बाद गूंजेगी शेर की दहाड़, गुजरात और हरियाणा से लाए गए शेर और चिंकारा
गोपालपुर में चार साल बाद गूंजेगी शेर की दहाड़, गुजरात और हरियाणा से लाए गए शेर और चिंकारा

पालमपुर, शारदाआनंद गौतम। धौलाधार प्रकृति उद्यान एवं चिडिय़ाघर गोपालपुर में शेर और चिंकारा पहुंच गए हैं। वन्य प्राणी विभाग औपचारिकताओं को पूरा कर रहा है और इसके बाद जल्द इन्हें लोगों को दिखाने के लिए सामने लाया जाएगा। गुजरात से नर और मादा शेरों का जोड़ा और हरियाणा से चिंकारे के जोड़े को भी गोपालपुर पहुंचा दिया गया है। वन्य प्राणी विंग हमीरपुर के अधिकारी राहुल ने इस बाबत पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि औपचारिकताएं पूरी की जा रहीं है ताकि गोपालपुर चिडिय़ाघर में आने वालों को इन्हें दिखाने के लिए सामने लाया जा सके।

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एनीमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत गोपालपुर से भालुओं के जोड़े गुजरात और हरियाणा में भेजे गए थे। इसके बाद यहां शेर और चिंकारा आए हैं। शेर को लेकर वन्य प्राणी विशेषज्ञ बताते हैं कि यह किसी भी क्षेत्र में अपने को अभ्यस्त करने में कुछ समय लेता है। ऐसे में इसे एकदम से जनता के सामने नहीं लाया जाता है। यही कारण है कि गोपालपुर में शेर को पहुंचा दिया गया है लेकिन उसे जनता के सामने तभी लाया जाएगा जब वह यहां के वातावरण में अपने आप को ढाल लेगा। फिलहाल शेरों की जांच करते हुए उनका टीकाकरण किया है।

एनीमल एक्‍सचेंज कार्यक्रम के तहत लाए गए शेर और चिंकारा

गोपालपुर चिडिय़ाघर को 1990 में बनाया गया था। यहां 22 प्रजातियों के करीबन 180 वन्य प्राणी हैं। अक्टूबर में यहां से भालुओं को हरियाणा भेजा गया था। एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत वहां से चिंकारा का जोड़े लाया गया है। इसी प्रकार गुजरात में भालुओं का जोड़ा भेजा गया और वहां से शेरों का जोड़ा यहां लाया गया है।

चार साल से था शेर की दहाड़ का इंतजार

गोपालपुर में शेरों की दहाड़ बीते चार वर्ष से नहीं सुनाई दे रही थी। इससे पूर्व यहां पर शेरों का जोड़ा था मगर आयु अधिक होने के कारण उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद यहां शेरों को लाने के लिए योजना बनाई गई थी मगर अन्य चिडिय़ाघरों की दूरी और वहां पर शेरों की सीमित संख्या के कारण यह योजना सफल नहीं हो पा रही थी। लिहाजा लंबे अरसे बाद वन्य प्राणी विंग को गुजरात से शेरों का जोड़ा लाने में सफलता मिली है।


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