लोधवां में पराली में लगी आग बड़ा हादसा होने से टला
थाना डमटाल के अंतर्गत आते गांव लोधवां में कल देर रात गुज्जरों द्वारा लगाए गए पराली के ढ़ेर में आग लगने से आस पास के क्षेत्र में हड़कंप मच गया। पहले तो गांववासियों ने अपने स्तर पर आग बुझाने की कोशिश की।
भदरोआ, संवाद सूत्र। थाना डमटाल के अंतर्गत आते गांव लोधवां में कल देर रात गुज्जरों द्वारा लगाए गए पराली के ढ़ेर में आग लगने से आस पास के क्षेत्र में हड़कंप मच गया। पहले तो गांववासियों ने अपने स्तर पर आग बुझाने की कोशिश की, परंतु आग के प्रचंड रूप के आगे किसी की न चली जिसके चलते लोधवा गांव के उपप्रधान विशाल चंबियाल मौके पर पहुंचे व स्थिति की गंभीरता को देखते हुए थाना डमटाल में फोन पर सूचना दी।
सूचना मिलते ही पुलिस ने तंरतु कार्रवाई करते हुए अतिरिक्त थाना प्रभारी रमेश बैंस मौके पर पहुंचे व 9-एफओडी के चेयरमैन कर्नल अमित राजधान को इसकी सूचना दी अतः उनके द्वारा अग्निशमन विभाग की गाड़ी मौके पर भेजी। अतः अग्निशमन के कर्मचारियों के द्वारा कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया वही अभी नुकसान का जायजा लिया जा रहा है।
पराली जलाने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। किसान पराली को जला कर अपने खेतों को बंजर बना रहे हैं। मिट्टी के लिए ऑर्गेनिक कार्बन बेहद जरूरी है। अगर मिट्टी में इसकी कमी हो जाए तो किसानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल फर्टिलाइजर भी काम करना बंद कर देंगे। इसका फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अच्छी फसल के लिए मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन होना बेहद जरूरी है। मिट्टी में सामान्य तौर पर अगर आर्गेनिक कार्बन 5 फीसदी से ज्यादा है तो अच्छा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में देश के कई हिस्सों में मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा 0.5 फीसदी पर पहुंच गई है जो बेहद खतरनाक स्थिति है।
पराली जलाने से नुकसान
फसल के अवशेष को जलाने से फसल के ऊपरी परत में मौजूद सूक्ष्म जीवों को नुकसान होता है। इससे मिट्टी की जैविक गुणवत्ता प्रभावित होती है। पराली जलाने से पर्यावरण के नुकसान से अधिक मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। केवल एक टन पराली जलाने से 5.5 किग्रा नाइट्रोजन, 2.3 किग्रा फासफोरस, 25 किग्रा पोटैशियम और 1.2 किग्रा सल्फर जैसे मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। पराली की आग की गरमी से मिट्टी में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया और कीट भी नष्ट हो जाते हैं। कृषि विभाग के सहयोग से आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर पराली को आसानी से जमीन में खत्म किया जा सकता है। पराली को आग लगाने से जमीन की पैदावार तो कम होती ही है व उससे मित्र कीड़े भी उस आग में जल जाते हैं।