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सरकारी स्‍कूल की इस अध्‍यापिका ने अपने प्रयासों से 18 से 73 पहुंचाई विद्यार्थियों की संख्‍या Kangra News

Himachal Govt Schhool देश और प्रदेश महामारी के दौर से गुजर रहा है। लेकिन प्रदेश के शिक्षक इस भयंकर महामारी से निपटने के लिए सरकार की ओर से तय किए नियमों को लागू करने के साथ शिक्षा की लौ भी बखूबी जला रहे हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 10:13 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 10:13 AM (IST)
सरकारी स्‍कूल की इस अध्‍यापिका ने अपने प्रयासों से 18 से 73 पहुंचाई विद्यार्थियों की संख्‍या Kangra News
जिला कांगड़ा के नगराेटा बगवां शिक्षा खंड के तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला मलां की मुख्‍य शिक्षिका विमला देवी

नगरोटा बगवां, संवाद सहयोगी। Himachal Govt Schhool, देश और प्रदेश महामारी के दौर से गुजर रहा है। लेकिन प्रदेश के शिक्षक इस भयंकर महामारी से निपटने के लिए सरकार की ओर से तय किए नियमों को लागू करने के साथ शिक्षा की लौ भी बखूबी जला रहे हैं। शिक्षक सरकार तथा शिक्षा विभाग से कंधे से कंधा मिलाकर भरपूर सहयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही स्‍कूलों में विद्यार्थियों के ऑनलाइन दाख‍िले करवाकर पढ़ाई भी करवा रहे हैं। जिला कांगड़ा के नगराेटा बगवां शिक्षा खंड के तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला मलां की मुख्‍य शिक्षिका विमला देवी ने महामारी के दौर में उदाहरण पेश किया है। कोरोना महामारी के दौर में भी इन्‍होंने स्‍कूल में विद्यार्थियों का प्रवेश बढ़ाया है। स्‍कूल में मौजूदा समय में 73 बच्‍चे पढ़ाई कर रहे हैं।

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विमला देवी अपने अथक प्रयासों से ग्रामीण बच्चों को इस महामारी से बचने के लिए जागरूक भी कर रही हैं। यह मेहनती, ईमानदारी व मृदुभाषी गुणों की वजह से पूरे इलाका में लोकप्रिय हैं। वर्ष 2012 में  विमला देवी ने इस पाठशाला में बतौर मुख्य शिक्षिका के रूप में कार्यभार संभाला। उस समय इस पाठशाला में केवल 18 विद्यार्थी अध्ययनरत थे। इन्होंने अपने कुशल नेतृत्व मृदुभाषी कर्मठ होने का उदाहरण प्रस्तुत करके 2016 तक बच्चों की संख्या 64 तक पहुंचाई।

इस कारण पाठशाला में एक अध्यापक व एक मिड डे मील वर्कर की अतिरिक्त नियुक्ति हुई। इन्‍होंने सरकार के निर्देश अनुसार नर्सरी कक्षा का संचालन भी किया है, जिसमें इस वर्ष भी लगभग 22 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसी प्रकार वर्तमान में अभी तक करीब 73 बच्चे अध्ययनरत हैं। नर्सरी कक्षा के बच्चों को मुख्य शिक्षिका अपनी तरफ से मध्यान भोजन भी उपलब्ध करवाती हैं। इनके अपने ही प्रभाव के कारण स्थानीय लोगों ने निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल करवाया है।


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