जोनल अस्पताल धर्मशाला की लैब में आज से सुबह आठ बजे नहीं टेस्ट
क्षेत्रीय चिकित्सालय धर्मशाला में शुक्रवार से न तो सुबह आठ बजे से और न ही शाम साढ़े चार बजे के बाद ऑन कॉल लैब में टेस्ट होंगे। वेतन की विसंगतियों से बिफरे लैब में तैनात लैब टेक्निशियनों ने वीरवार को इस संबंध में अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर अवगत करवा दिया है।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : यदि आपने जोनल अस्पताल धर्मशाला में कोई टेस्ट करवाना है तो सुबह आठ बजे मत आना, अन्यथा आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जी हां! अस्पताल में शुक्रवार से न तो सुबह आठ बजे से और न ही सायं साढ़े चार बजे के बाद ऑन कॉल लैब में टेस्ट होंगे। वेतन विसंगतियों से बिफरे लैब तकनीशियनों ने वीरवार को इस बाबत अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर अवगत करवा दिया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले लैब में सुबह आठ बजे से टेस्ट शुरू हो जाते थे और शाम को ड्यूटी खत्म होने के बाद तकनीशियनों को ऑन कॉल बुलाया जाता था। शुक्रवार से सुबह 10 बजे के बाद ही टेस्ट होंगे। इतना ही नहीं लोगों को लाइनों में खड़े होकर नंबर डलवाने के बाद ही टेस्ट करवाने होंगे। अस्पताल में तैनात सीनियर लैब तकनीशियन केएस राणा व सुशील बख्शी, सीनियर लैब असिस्टेंट मधुबाला, अमित कुमार व ध्यान चंद ने आरोप लगाया कि उनका शोषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे रेडक्रॉस के तहत अस्पताल में तैनात किए गए हैं। कहा कि वे उस समय से सेवाएं दे रहे हैं, जब मेडिकल कॉलेज टांडा शिफ्ट हुआ था और अस्पताल की लैब खाली हो गई थी। कर्मचारियों के अनुसार, उस समय रेडक्रॉस ने उन्हें धर्मशाला अस्पताल में तैनात किया था। तर्क दिया कि गवर्निग बॉडी की बैठक में वेतन बढ़ोतरी संबंधी घोषणाएं की जाती हैं। सितंबर में पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर की अध्यक्षता में वेतन बढ़ोतरी निर्णय लेने के बावजूद रेडक्रॉस सोसायटी प्रबंधन की ओर से उन्हें लाभ नहीं दिया जा रहा है। अस्पताल की लैब के संचालन में ईमानदारी से कार्य किया जा रहा है। लैब में मरीजों की सुविधा के लिए सुबह आठ बजे से ही शुरू किया जाता है तथा ड्यूटी समाप्त होने के बाद भी ऑन कॉल सेवाएं दी जाती हैं। मांग उठाई कि उन्हें अब आरकेएस में मर्ज किया जाए। चेतावनी दी कि अगर मांगों के समर्थन में उचित कदम नहीं उठाया तो आंदोलन किया जाएगा।
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एंटी रैबीज इंजेक्शन : मांगे 500, मिले मात्र 50
-विधानसभा सत्र सिर पर बिना मेडिसिन विशेषज्ञ अस्पताल प्रशासन की बढ़ी चिता
-पहले से ही डॉक्टरों की मार झेल रहा है धर्मशाला अस्पताल
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : पहले चिकित्सकों और अब एंटी रैबीज इंजेक्शन की कमी अस्पताल प्रशासन पर भारी पड़ी है। क्षेत्रीय चिकित्सालय धर्मशाला को निदेशालय ने इंजेक्शनों के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा दिया है। अस्पताल प्रशासन ने पिछले माह एंटी रैबीज के 500 इंजेक्शन मांगे थे, लेकिन निदेशालय ने सप्लाई में सिर्फ 50 ही भेजे हैं। कम सप्लाई को देखकर अस्पताल प्रशासन खुद ही परेशान हैं। दूसरी ओर अगले सप्ताह से विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है और अस्पताल में मुख्य रूप से मेडिसिन विशेषज्ञ का पद रिक्त है।
धर्मशाला अस्पताल में सितंबर से एंटी रैबीज इंजेक्शन ही नहीं थे। सितंबर में ही इसकी डिमांड भेजी थी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया न आने से अक्टूबर में अस्पताल प्रशासन ने अपने स्तर पर ही 50 इंजेक्शन खरीद लिए थे। जब ये खत्म हो गए तो नवंबर में दोबारा 500 इंजेक्शनों की मांग भेज गई थी और इसके जवाब में सिर्फ 50 इंजेक्शनों की ही सप्लाई आई है।
शीतकालीन सत्र के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीम की नियुक्ति की जा रही है, लेकिन बड़ी बात यह है कि मेडिसिन डॉक्टर का न होना प्रशासन की चिता बढ़ा रहा है। सत्र के दौरान अगर किसी की तबीयत खराब होती है तो बिना मेडिसिन विशेषज्ञ धर्मशाला में इलाज संभव नहीं होगा।
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अस्पताल में पदों की स्थिति
धर्मशाला अस्पताल में डॉक्टरों व विशेषज्ञों के 37 पद स्वीकृत हैं, लेकिन मौजूदा समय में 23 पद ही भरे हैं और शेष रिक्त है। इसके अलावा गायनी, मेडिसिन, मनोचिकित्सक व ऑर्थो के मुख्य डॉक्टरों के पद रिक्त हैं।
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विस सत्र से पूर्व अस्पताल में कम से कम मेडिसिन विशेषज्ञ की तैनाती की मांग की गई है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। बिना डॉक्टरों के अस्पताल का काम मुश्किल हो रहा है।
-डॉ. दिनेश महाजन, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, जोनल अस्पताल धर्मशाला।