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स्‍वतंत्रता सेनानी पंडित सुशील रत्‍न का राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार, कई नेता पहुंचे Kangra News

Sushil Ratna cremation with state Honours पंडित सुशील रतन का राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 11:10 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 10:54 PM (IST)
स्‍वतंत्रता सेनानी पंडित सुशील रत्‍न का राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार, कई नेता पहुंचे Kangra News
स्‍वतंत्रता सेनानी पंडित सुशील रत्‍न का राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार, कई नेता पहुंचे Kangra News

ज्वालामुखी, जेएनएन। देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले पंडित सुशील रतन का आज राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। कांग्रेस सहित अन्‍य कई नेता ज्‍वालामुखी पहुंचे। इस मौके पर ज्‍वालामुखी के विधायक एवं योजना बोर्ड के उपाध्‍यक्ष रमेश धवाला, उपायुक्‍त राकेश प्रजापति, कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष कुलदीप सिंह राठौर, नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन सहित अन्‍य नेताओं ने व लोगों ने पंडित सुशील रत्‍न को श्रद्वांजलि दी। सुशील रत्‍न के पुत्र एवं पूर्व विधायक संजय रत्‍न ने चिता को मुखाग्‍िन दी।

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विनोवा भावे को आदर्श मानने वाले पंडित सुशील रत्‍न का जीवन हमेशा से ही देशसेवा के लिए समर्पित रहा। विनोवा भावे उनके आदर्श थे और उनके ही पदचिह्नों पर चलते हुए वे जिंदगी के शुरुआती दौर से ही देशसेवा से जुड़े। पं. सुशील रत्न का जन्म 31 मार्च, 1924 को गरली में हुआ था। देश की आजादी के लिए वह स्वतंत्रता संग्राम में कूदे। देश आजाद हुआ तो प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के उस समय के कांग्रेस नेतृत्व से भी संपर्क में रहे।

स्‍वतंत्रता सेनानी पंडित सुशील रत्‍न को अंतिम विदाई देने के लिए ज्‍वालामुखी पहुंचे कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष कुलदीप राठौर सहित अन्‍य पार्टी नेता।

पं. सुशील रत्न के संबंध नेहरू परिवार से लेकर वीरभद्र सिंह के परिवार तक रहे। यही कारण है कि उनका देश व प्रदेश की राजनीति में हमेशा ऊंचा स्थान रहा है। राष्ट्रपति पदक विजेता एवं स्वतंत्रता सेनानी कल्याण बोर्ड के वे दो बार उपाध्यक्ष रहे। पंडित सुशील रत्न ने देश सेवा में ही अधिकतर समय व्यतीत किया है। लोक संपर्क विभाग में सेवाएं देने के बाद उन्होंने प्रदेश की राजनीति में कदम रखा। हालांकि वे कोई चुनाव तो नहीं जीत सके, लेकिन स्वतंत्रता सेनानी परिवारों के लिए हमेशा लड़ाई लड़ने वाले इस योद्धा को इसका फल भी मिला। उन्हें कांग्रेस सरकार ने दो बार स्वतंत्रता सेनानी कल्याण बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया।

स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाले मानदेय में समय-समय पर उन्होंने बढ़ोतरी करवाई थी। स्वतंत्रता सेनानियों के निधन पर राजकीय सम्मान व सम्मान राशि भी सुशील रत्न की ही देन है। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में छूट दिलाई थी। पं. सुशील रत्न ने ज्वालामुखी क्षेत्र के विकास का सपना देखा था। उनका जीवन परोपकार की जिंदा व खुली किताब थी। न जाने कितने ही लोगों को रोजी-रोटी देकर उन्होंने काबिल बनाया है। उनके निधन से ज्वालामुखी में शोक की लहर है।

पंडित सुशील रत्‍न का राजनीतिक सफर

कांग्रेस में अपनी पहचान व सम्मान के बलबूते पर उन्हें दो बार विधानसभाचुनाव में ज्वालामुखी से टिकट भी मिला। वर्ष 1982 में लोक संपर्क अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें 1985 व 1990 में कांग्रेस का टिकट मिला लेकिन भितरघात के कारण हार का सामना करना पड़ा। पं. सुशील रत्न कांग्रेस कार्यकाल में वर्ष 1985 से 1990 तक खादी बोर्ड हिमाचल प्रदेश के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। उनके पुत्र संजय रत्न ने वर्ष 2013 में ज्वालामुखी से कांग्रेस का टिकट लेकर विधानसभा का चुनाव जीता और पं. सुशील रत्न के सपनों को पूरा कर दिखाया। पं. सुशील रतन 2003 व 2013 में प्रदेश स्वतंत्रता सेनानी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष भी बने। पंडित सुशील रत्न वर्तमान में भारत सरकार की हाइ पावर कमेटी के सदस्य थे।

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