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किसान अांदाेलन को लेकर शांता कुमार ने केंद्र सरकार को दिया सुझाव, कहा- नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है प्रदर्शन

Shanta Kumar Suggestion भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि यह दुर्भाग्य की बात है कि लंबी बातचीत मंत्रियों और प्रधानमंत्री के सभी प्रकार के आश्वासन के बाद भी किसान आंदोलन और अधिक तेज होता जा रहा है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 01:59 PM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 01:59 PM (IST)
किसान अांदाेलन को लेकर शांता कुमार ने केंद्र सरकार को दिया सुझाव, कहा- नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है प्रदर्शन
शांता कुमार ने कहा आंदोलन का अगला दौर नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है।

पालमपुर, जेएनएन। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि यह दुर्भाग्य की बात है कि लंबी बातचीत, मंत्रियों और प्रधानमंत्री के सभी प्रकार के आश्वासन के बाद भी किसान आंदोलन और अधिक तेज होता जा रहा है। आंदोलन का अगला दौर नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है। उन्होंने सरकार और किसान नेताओं से विशेष आग्रह किया है कि बहुत अधिक सावधानी रखी जाए। कुछ गलत तत्व आंदोलन में शामिल हो गए हैं। कुछ संदिग्ध एनजीओ परोक्ष रूप से करोड़ों रुपये की सहायता कर रहे हैं। उन्होंने कहा आंदोलन का नेतृत्व खेत में काम करने वाले किसान के हाथ में नहीं है। लगभग सभी नेता किन्हीं निहित स्वार्थों के कारण आंदोलन को हवा दे रहे हैं।

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मुख्य रूप से आंदोलन पंजाब के नेताओं की अाेर से चलाया जा रहा है। पंजाब में अनाज की पैदावार भी बहुत अधिक होती है और खाद्य निगम इतना अधिक अनाज खरीदती है कि उसके टैक्स और कमीशन का प्रतिवर्ष पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक धन बनता है। नए कानून से किसान अपनी उपज कहीं और भी बेच सकेगा। कमीशन की आय कम हो जाएगी।

यही कारण है कि पंजाब के बिचाैलिये और आढ़ती करोड़ों रुपये के कंबल, रजाईयां और अनाज धरने पर बैठे लोगों को दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ बड़ा पंडाल लगाकर करोड़ों रुपये का सामान दे रहा है। उसके बड़े तंबू पर अातंकवाद के समय एक हवाई जहाज के अपहरण में दोषी अातंकी नेता की फोटो है जाे पकड़ा नहीं गया है। विदेश में रहकर देश विरोधी गतिविधियां कर रहा है। यदि ऐसे समाचार सच हैं तो देश को सावधान होने की जरूरत है।

शांता कुमार ने कहा कि कुछ दिन पहले ही शाहीन बाग में 100 दिन धरना चला था। फिर एक नाजुक दौर आया। दंगे करवाए गए थे और 50 बेगुनाह लोगों की हत्या हो गई थी। किसान आंदोलन भी अब धीरे-धीरे उसी आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।


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