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National Sports Day 2019: अस्पताल ही नहीं फिटनेस सेंटर खोलना ज्‍यादा उपयोगी, जानिए विशेषज्ञ राय

सरकार अस्पताल घर-द्वार पर खोल रही है। लेकिन बीमारियों से दूर रहने और फिट रखने के लिए फिटनेस सेंटर और खेलों को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 11:17 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 03:07 PM (IST)
National Sports Day 2019: अस्पताल ही नहीं फिटनेस सेंटर खोलना ज्‍यादा उपयोगी, जानिए विशेषज्ञ राय
National Sports Day 2019: अस्पताल ही नहीं फिटनेस सेंटर खोलना ज्‍यादा उपयोगी, जानिए विशेषज्ञ राय

धर्मशाला, जेएनएन। हिमाचल का वातावरण और भौगोलिक स्थिति अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने के लिए बहुत अच्छी है। लेकिन खेल हमारी प्राथमिकता में ही नहीं है। खेलों के लिए माहौल नहीं है। जो खेल प्रतियोगिताएं स्कूल व कॉलेज स्तर पर हो रही हैं, वे मात्र खानापूर्ति हैं। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार नहीं हो पा रहे हैं। सरकार अस्पताल घर-द्वार पर खोल रही है। लेकिन बीमारियों से दूर रहने और फिट रखने के लिए फिटनेस सेंटर और खेलों को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है। सुविधाओं के नाम पर कुछ खास नहीं है। आधारभूत ढांचा भी नहीं है। बच्चों में खेल भावना पैदा करने के लिए स्कूलों में खेलों को आवश्यक करना होगा। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय रेफरी, भारतीय बॉक्सिंग टीम चयन समीति के अध्यक्ष एवं हिमाचल प्रदेश बॉक्सिंग फेडरेशन के अध्यक्ष राजेश भंडारी का। राजेश हिमाचल से बॉक्सिंग खिलाड़ी भी रहे हैं। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :

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खेलों को लेकर हिमाचल में क्या स्थिति है?

हिमाचल में खेलों के लिए माहौल, सुविधाएं व आधारभूत ढांचा नहीं है। खेल के मैदान भी कम हैं। जहां मैदान हैं भी, वहां उनका उपयोग युवाओं की खेल प्रतिभा निखारने के लिए नहीं हो रहा है। लोग स्वस्थ रहें, इसके लिए फिटनेस सेंटर नहीं बन रहे हैं। युवाओं की ऊर्जा को खेल से दिशा दी जा सकती है। इससे वे नशे की गिरफ्त में आने से भी दूर रहेंगे।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बहुत कम तैयार हो रहे हैं। ऐसा क्यों?

बॉक्सिंग और कुछ खेलों जैसे कबड्डी व हॉकी में हिमाचल के युवा बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। आज के दौर में अधिकतर लोग अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते हैं। लेकिन उन्हें खिलाड़ी बनाने के लिए कोई जोर नहीं दे रहा है। क्रिकेट का क्रेज है लेकिन वो भी खेल मैदान कम होने से पूरा नहीं हो रहा है। कोच भी कम हैं। हिमाचली युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है। लेकिन जब तक उनकी प्रतिभा को तराशा न जाए और आधारभूत ढांचे की कमी हो तो बेहतर खिलाड़ी कहां से तैयार होंगे। स्कूलों में खेल को अनिवार्य विषय बनाने की जरूरत है।

सरकारी स्तर पर खेलों को विकसित करने के लिए हो रहे प्रयास कितने सफल हैं?

ऐसा नहीं है कि सरकार खेलों के लिए आर्थिक मदद या पैसे नहीं खर्च रही है। यह सब हो रहा है लेकिन सुनियोजित नहीं है। स्कूलों में जो बच्चा एक खेल में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है उसे दूसरों खेलों में भी शामिल किया जा रहा है।

खेल महासंघों के राजनीतिकरण और आपसी लड़ाई का खेलों व पर क्या असर हो रहा है?

खेल महासंघों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। खेल संघों की कमान केवल जो खिलाड़ी रहे हैं, उनके हाथ में होनी चाहिए। हिमाचल में खेल संघों में लड़ाई और राजनीतिकरण का असर खेलों व खिलाड़ियों पर हो रहा है। गांव और वार्ड स्तर पर टेलेंट हंट की आवश्यकता है जिससे बेहतर खिलाड़ियों का चयन हो सकेगा।


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