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नंदपुर भटोली के पास पौंग झील में प्रतिबंध के बावजूद हो रही है खेती

पौंग झील किनारे खाली जमीन पर बीजाई करना पूर्णतया प्रतिबंधित है और वन्य प्राणी विभाग द्वारा भी यही जबाब दिया जाता है कि वन्य प्राणी विभाग की जमीन पर खेती नहीं करने दी जाएगी। ऐसे में अब सवाल यह उठता है।

By Richa RanaEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 12:04 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 12:04 PM (IST)
नंदपुर भटोली के पास पौंग झील में प्रतिबंध के बावजूद हो रही है खेती
नंदपुर भटोली के पास पौंग झील के खाली क्षेत्र में तारबंदी कर बीजी गई गेहूं की खेती।

नगरोटा सूरियां, संवाद सूत्र। पौंग झील किनारे खाली जमीन पर बीजाई करना पूर्णतया प्रतिबंधित है और वन्य प्राणी विभाग द्वारा भी यही जबाब दिया जाता है कि वन्य प्राणी विभाग की जमीन पर खेती नहीं करने दी जाएगी। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि वन्य प्राणी विभाग की जमीन पर बीजी गई हजारों क्विंटल फसल किसकी है और इसका कितना फायदा वन्य प्राणी विभाग को मिलता है?

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पौंग झील किनारे की जमीन का मुआवजा सरकार द्वारा विस्थापितों को दिया जा चुका है तो फिर इस जमीन की बीजाई क्यों करने दी जाती है। पौंग झील किनारे बीजाई करना प्रतिबंधित है तथा कंवाइन ले जाने पर भी प्रतिबन्ध है तो फिर बीजाई कैसे की जाती है और फिर कंबाइन से इसकी कटाई हो जाती है। तब वन्य प्राणी विभाग कहां सोया होता है। पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा ने कहा कि आरटीआइ से ली गई जानकारी में पुष्टि हुई है कि पौंग झील किनारे जमीन की बीजाई होने से सिल्ट डेम में जमा हो जाती है तथा डैम के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, वहीं खेती में डाली जाने वाली खाद व कीटनाशक पौंग झील में पलने वाले जीवों सहित प्रवासी पक्षियों के लिए भी खतरनाक साबित होते हैं।

मिलखी राम शर्मा ने कहा कि पौंग झील किनारे की गई खेती में लोगों द्वारा रेशमी धागे बांधे गए हैं जिनमें प्रवासी पक्षी फंस जाते हैं और लोग प्रवासी पक्षियों का शिकार कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि आखिरकार वन्य प्राणी विभाग कहां सोया हुआ है। नंदपुर भटोली पौंग झील में तार लगाकर ट्रेक्टर माफिया ने बिजाई की है। मिलखी राम शर्मा ने आरोप लगाया कि वन्य प्राणी विभाग की मिलीभगत से ही खेती की जा रही है जबकि गरीब जनता को एक दाना तक बीजाई नहीं करने दिया जाता है।

आजकल लोगों ने झील किनारे जाने वाले रास्तों को बाड़ या तार लगाकर बन्द कर दिया है, जिससे पशु झील किनारे पहुंच नहीं पाते हैं और लोगों की मलकीयती जमीनों में बीजी गई फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटकों सहित अन्य पर्यटकों से भी बदसलूकी की जाती है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, वन्य प्राणी विभाग से पुरजोर मांग की है कि पौंग झील किनारे की जाने वाली खेती को बंद करवाया जाए तथा जो भी आदेशों की अवहेलना करके बीजाई करता है उसके खिलाफ केस दर्ज किया जाए।

उधर सीसीएफ वाइल्ड लाइफ नार्थ जान उपासना पटियाल ने कहा कि कानूनन कोई भी व्यक्ति पौंग झील किनारे खाली जमीन पर खेती नहीं कर सकता है और अगर कोई खेती कर रहा है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि डीएफओ हमीरपुर को भी निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर खेती हो रही है तो सोचने योग्य है कि आखिरकार टीमों की निगरानी के बाद भी खेती कैसे हो रही है। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा पौंग झील को जाने वाले बंद किए गए रास्तों को खुलवाया जाएगा।


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