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जिला कांगड़ा के डिपुओं में नहीं मिल रही यूरिया खाद, किसान हो रहे परेशान

कांगड़ा में गेंहू की फसल को यूरिया खाद डालने के लिए सोसायटी डिपूओं मेंं खाद नहीं मिल रही है। खाद नहीं मिलने के चलते जिला के किसान परेशान हो रहे हैं। जनवरी की शुरूआत में बारिश के बाद गेंहू की फसल में यूरिया खाद व स्प्रे डाली जाती है।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 01:00 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 01:00 PM (IST)
जिला कांगड़ा के डिपुओं में नहीं मिल रही यूरिया खाद, किसान हो रहे परेशान
कांगड़ा में गेंहू की फसल को यूरिया खाद डालने के लिए सोसायटी डिपूओं मेंं खाद नहीं मिल रही है।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। जिला कांगड़ा में गेंहू की फसल को यूरिया खाद डालने के लिए सोसायटी डिपूओं मेंं खाद नहीं मिल रही है। खाद नहीं मिलने के चलते जिला के किसान परेशान हो रहे हैं।

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यहां बता दें कि जनवरी माह की शुरूआत में बारिश के बाद गेंहू की फसल में यूरिया खाद व स्प्रे डाली जाती है।

जनवरी माह में होने वाली बारिश के बाद यह खाद खेतों में डालना बहुत जरूरी होती है। यूरिया डालने से गेंहू की फसल तेजी से वृद्धि करती है।

इसके अलावा गेंहू के जो कमजोर पौधे होते हैं वह भी स्वस्थ हो जाते हैं। इसके अलावा यूरिया खाद के साथ कई किसान स्प्रे भी करते हैं। स्प्रे के इस्तेमाल से खरपतवार भी खत्म हो जाते हैं। चिंतनीय बात तो यह है कि जिला कांगड़ा में पिछले 20 दिनों के यूरिया ही नहीं मिल रहा है। हालांकि कृषि विभाग की ओर ब्लाक स्तर पर एसएमएस कार्यालय में यूरिया उपलब्ध करवाने की निर्देश दिए गए हैं, लेकिन सप्लाई नहीं आने के चलते किसान परेशान हो रहे हैं। यूरिया खाद की 50 किलोग्राम के बोरी वैसे तो 350 रुपये की होती है, लेकिन पिछले दिनों कुछ सोसायटी डिपू वाले निर्धारित मूल्य से अधिक बसूल कर रहे थे। अब स्थिति यह है कि सोसायटी डिपो में भी खाद नहीं मिल रही है।

जिला कांगड़ा के किसानों में नरेश सिंह, अमन कुमार, दीप राज, धर्म सिंह, बलदेव सिंह, प्रताप सिंह, चतर राम, पूर्ण चंद व केशव चंद ने कहा कि अगर समय पर खाद नहीं मिली तो उनके फसलें बर्वाद हो जाएंगी। समय पर खाद न मिलने से गेंहू के पौधे अच्छे से बढ़ नहीं पाएगें और उत्पादन भी खराब हो जाएगा। उन्होंने प्रदेश सरकार व कृषि विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द उन्हें कम से कम यूरिया खाद उपलब्ध करवाई जाए, ताकि उनके फसलों को बचाया जा सके।


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