पंजाब और हरियाणा के गन्ने व मक्की के अवशेष से बनेगा हिमाचल में एथनाल
हिमाचल प्रदेश में स्थापित होने वाले तीन एथनाल प्लांट के लिए पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा से गन्ना और मक्का के अवशेष लाए जाएंगे। केंद्र सरकार ने प्रदेश में तीन प्लांट स्थापित करने को मंजूरी प्रदान की है जो 600 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित होंगे।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में स्थापित होने वाले तीन एथनाल प्लांट के लिए पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा से गन्ना और मक्का के अवशेष लाए जाएंगे। केंद्र सरकार ने प्रदेश में तीन प्लांट स्थापित करने को मंजूरी प्रदान की है जो 600 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित होंगे। इन में 600 किलोलीटर एथनाल का उत्पादन प्रस्तावित किया गया है। इसके लिए प्रदेश से जुड़ी तीन कंपनियों का चयन किया गया है। दो प्लांट सोलन जिला के नालागढ़ और एक कांगड़ा जिला के संसारपुर टैरेस में स्थापित होगा। उत्पादित एथनाल की खरीद के लिए निकट भविष्य में कंपनियों के बीच में दस साल का करार होगा। इसका उपयोग होने से कार्बन मोनोआक्साइड उत्सर्जन 30 से 50 फीसद और हाइड्रोकार्बन 20 फीसद कम होगा। धर्मशाला में आयोजित राइजिंग हिमाचल इंवेस्टर मीट में एथनाल प्लांट के प्रस्ताव आए थे। अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान का कहना है कि एथेनाल को पेट्रोल में मिक्स किया जाएगा। इससे पैसे की बचत होगी और प्रदेश की आय के संसाधन बढ़ेंगे।
पड़ोसी राज्यों पर रहेगी निर्भरता
एथनाल उत्पादन के लिए तीनों प्लांट की कच्चे माल को लेकर पड़ोसी राज्यों पर निर्भरता रहेगी। कारण यह कि प्रदेश में गन्ना और मक्का का उत्पादन अपेक्षा अनुरूप नहीं होता है, जोकि उद्योगों की आवश्यकता को पूरा कर सके। इसलिए पंजाब और हरियाणा में गन्ने का रस निकालने के बाद अवशेष का इस्तेमाल होगा। प्रदेश के ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन व मंडी जिले में अधिकतर गन्ने व मक्की की खेती की जाती है। अन्य जिलों में इस खेती करने वालों का अनुपात कम है। अधिकतर लोग मक्की के उचित दाम न मिलने के कारण इसकी खेती सिर्फ गुजारे के लिए ही करते हैं।
ये कंपनियों स्थापित करेंगी एथनाल प्लांट
सोलन जिला के नालागढ़ में जय ज्वाला बायो फ्यूल और हाइजेना लाइफ साइंसिज कंपनियां और कांगड़ा जिला के संसारपुर टैरेस में प्रीमीयर अल्कोवेब कंपनी एथनाल उत्पादन करेंगी।