शिक्षा मंत्री बोले, नहीं रुकेंगी स्नातक की परीक्षाएं; फैसले को चुनौती देगी सरकार
Bachelor Examination स्नातक के छठे सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया है। राज्य सरकार प्रदेश में परीक्षाओं पर रोक नहीं लगाएगी।
शिमला, जागरण संवाददाता। स्नातक के छठे सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया है। राज्य सरकार प्रदेश में परीक्षाओं पर रोक नहीं लगाएगी। इन परीक्षाओं को जारी रखा जाएगा। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पैटिशन (एसएलपी) दायर करेगी। इसको लेकर कानूनी राय ली जा रही है। कोर्ट के आदेश आने के बाद शिक्षा मंत्री ने इसको लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। शिक्षा मंत्री गोङ्क्षवद ठाकुर ने महाधिवक्ता को एलएलपी दायर करने को कहा गया है, ताकि परीक्षाओं को लेकर कोई असमंजस न रहे। स्नातक अंतिम समेस्टर की परीक्षाएं सोमवार से शुरू हुई थी।
परीक्षा शुरू होने के बाद 14 अगस्त को प्रदेश उच्च न्यायलय के आदेशों की प्रति सरकार और शिक्षा विभाग को मिली। उच्च न्यायलय ने परीक्षाओं पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस तरह का मामला चला हुआ है। जब तक उसका निर्णय नहीं आ जाता तब तक परीक्षाओं को आयोजित न किया जाए। आदेश बीते 14 अगस्त को जारी हो गए थे, 15 व 16 अगस्त को अवकाश होने के चलते विभाग को आदेशों की कॉपी अब जाकर मिली है। 19 अगस्त को इस मामले की कोर्ट में सुनवाई होनी है।
नहीं रुकेगी पीटीए शिक्षकों को रेगुलर करने की प्रक्रिया
राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत पीटीए शिक्षकों को नियमित करने की प्रक्रिया नहीं रूकेगी। प्रदेश उच्च न्यायलय में पीटीए शिक्षकों से जुड़े मामले की उच्च न्यायलय में सुनवाई चल रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि न्यायलय ने नियमितिकरण पर रोक लगाने के संबंध में कोई आदेश नहीं दिए हैं। उन्होंने कहा कि विभागीय स्तर पर नियमितिकरण की प्रक्रिया जारी हैं। शिक्षकों का पूरा रिकार्ड आने के बाद नियमितिकरण के आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
एसएमसी शिक्षकों पर कानूनी राय ले रही सरकार
शिक्षा मंत्री गोङ्क्षवद ठाकुर ने कहा कि 2613 एसएमसी शिक्षकों की सरकार हर संभव सहायता करेगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने 14 अगस्त को इन की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया है। सरकार इस पर कानूनी राय ले रही है। एसएमसी शिक्षक प्रदेश उच्च न्यायलय के फैसले को अब चुनौती देने का निर्णय ले चुके है। ऐसे में यह देखा जा रहा है कि सरकार कैसे इनकी सहायता कर सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से शिक्षक सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रदेश के हार्ड, दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में इन शिक्षकों को नियुक्त किया गया है।