रिकांगपिओ में ड्रोन से छह मिनट में नौ किलोमीटर दूर पहुंचाई सेब की पेटी
हिमाचल में हिमपात या सड़क पर भूस्खलन मंडी तक सेब पहुंचाने में बाधा नहीं बनेगा। पहाड़ी राज्य में दवाओं के बाद अब ड्रोन से सेब ढुलाई का ट्रायल सफल रहा है। जनजातीय जिला किन्नौर के निचार गांव में यह ट्रायल किया है।
रिकांगपिओ,संवाद सहयोगी। हिमाचल में हिमपात या सड़क पर भूस्खलन मंडी तक सेब पहुंचाने में बाधा नहीं बनेगा। पहाड़ी राज्य में दवाओं के बाद अब ड्रोन से सेब ढुलाई का ट्रायल सफल रहा है। जनजातीय जिला किन्नौर के निचार गांव में यह ट्रायल किया है। ट्रायल में सेब की 20 किलो की पेटी कंडा से नौ किलोमीटर नीचे निचार मिनी स्टेडियम तक पहुंचाई। इसमें छह मिनट का समय लगा, जबकि एक पेटी पैदल पहुंचाने में करीब पांच घंटे लग जाते हैं। ट्रायल की प्रक्रिया तीन दिन तक चली।
ड्रोन को जमीन से 800 मीटर की ऊंचाई पर उड़ाया गया
ट्रायल विग्रो कंपनी ने स्काई वन कंपनी के सहयोग से किया। तकनीक स्काई वन कंपनी की है, जबकि ग्राउंड वर्क विग्रो कंपनी कर रही है। इस दौरान ड्रोन को जमीन से 800 मीटर की ऊंचाई पर उड़ाया गया। विग्रो कंपनी के प्रबंधक दिनेश नेगी ने बताया कि अब 100 किलो तक सेब ड्रोन के माध्यम से मंडी तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इसके लिए अधिक क्षमता के ड्रोन की आवश्यकता रहेगी। इस दुर्गम क्षेत्र में कई बार कंडा से निचार तक सेब पहुंचाने में कई दिन भी लग जाते हैं। हिमपात और सड़क खराब होने यह काम बड़ी चुनौती बन जाता है। ट्रायल सफल होने के बाद बागवानी के क्षेत्र में बड़ी क्रांति आने की उम्मीद है। स्थानीय बागवान मनोज माथस, गोविंद नेगी, रमेश नेगी व पंचायत उपप्रधान जगदेव नेगी ने बताया कि भविष्य में कम खर्च पर सेब मंडी तक पहुंचाया जा सकेगा। इससे शिमला, मंडी व कुल्लू के बागवानों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था-ड्रोन से करेंगे आलू की ढुलाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिलासपुर में जनसभा में कहा था कि लाहुल स्पीति से आलू की ढुलाई ड्रोन से की जाएगी। तब राजनीतिक विरोधियों ने इंटरनेट मीडिया पर मोदी के इस बयान का उपहास उड़ाया था। अब सेब पर ट्रायल सफल होने के बाद आलू की ढुलाई भी संभव हो सकेगी।
हर साल औसतन 40 लाख सेब पेटी का उत्पादन
किन्नौर जिला के सेब को गुणवत्ता के मामले में बहुत बेहतर माना जाता है। हर साल यहां औसतन सेब की 35 से 40 लाख पेटी का उत्पादन होता है, जनजातीय जिला से इसे मंडी तक पहुंचाना आसान नहीं होता। बागवान कई चुनौतियों का सामना करते हैं। तुड़ान के बाद सेब बगीचे से सड़क तक पहुंचाने में समय लग जाता है। यहां से सेब लेकर ट्रक कठिन सड़कों से गुजरते हैं। इसमें कई दिन लग जाते हैं। इससे सेब खराब होने का डर रहता है। हालांकि, 2020 में किन्नौर के टापरी में फल मंडी खुलने से बागवानों को कुछ राहत मिली है। किन्नौर में सेब के अलावा आलू व मटर का भी उत्पादन होता है।
अगले सीजन से शुरू होगी सेब ढुलाई
दिनेश नेगी ने बताया कि ड्रोन से सेब ढुलाई आर्थिक तौर पर कितनी कारगर रहती है, इस पर काम किया जाना है। जल्द ही एक पेटी ढोने के पूरे खर्च का आकलन किया जाएगा। सब कुछ सही रहा तो अगले सीजन में ड्रोन से सेब ढुलाई की जानी है। वाहन से सेब की एक पेटी को पांच किलोमीटर दूर पहुंचाने में 50 रुपये तक खर्च आता है। इसमें 10 से 15 रुपये बगीचे से ढुलाई का खर्च भी शामिल है।
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