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Medicine Price Hike: हिमाचल के फार्मा उद्योग पर दोहरी मार, दवाओं का पैकिंग मैटीरियल भी हुआ महंगा

Medicine Price Hike फार्मा उद्योगों पर दोहरी मार पड़ रही है। कच्चे माल यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्र्रेडिएंट (एपीआइ) की कमी तो है ही इसके दाम भी बढ़े हैं। इससे दवाओं का पैकिंग मैटीरियल महंगा हुआ है। अधिकतर पैकिंग मैटीरियल बद्दी में ही तैयार होता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 11:15 AM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 11:15 AM (IST)
Medicine Price Hike: हिमाचल के फार्मा उद्योग पर दोहरी मार, दवाओं का पैकिंग मैटीरियल भी हुआ महंगा
फार्मा उद्योगों पर दोहरी मार पड़ रही है। दवाओं का पैकिंग मैटीरियल महंगा हुआ है।

सोलन, जागरण संवाददाता। Medicine Price Hike, फार्मा उद्योगों पर दोहरी मार पड़ रही है। कच्चे माल यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्र्रेडिएंट (एपीआइ) की कमी तो है ही, इसके दाम भी बढ़े हैं। इससे दवाओं का पैकिंग मैटीरियल महंगा हुआ है। अधिकतर पैकिंग मैटीरियल बद्दी में ही तैयार होता है। इनका कच्चा माल बाहर से आता है। पैकिंग में सबसे अधिक प्रिंटेड फॉयल का इस्तेमाल होता है। इसके दाम 275 रुपये किलो से बढ़कर 480 रुपये किलो तक पहुंच चुके हैं। फॉयल के साथ पीवीसी शीट का इस्तेमाल टैबलेट की पैकिंग के लिए किया जाता है।

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पीवीसी शीट के दाम 90 रुपये किलो से 180 रुपये किलो हो गए हैं। खाली जिलेटिन कैप्सूल का दाम भी लगातार बढ़ रहा है। कोरोना काल से पहले की बात करें तो 70 रुपये के 100 जिलेटिन कैप्सूल आ जाते थे। अब 100 जिलेटिन कैप्सूल 120 रुपये में पड़ रहे हैं। महंगे दाम पर भी जिलेटिन कैप्सूल की आपूर्ति समय पर नहीं हो रही है। जीवनरक्षक दवाओं के उत्पादन में प्लास्टिक की बोतल का बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता है। विभिन्न आकार की प्लास्टिक की बोतल के दाम में 30 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। अग्रिम राशि दिए जाने के बाद भी दवा उत्पादकों को समय पर आपूर्ति नहीं हो रही है।

मामला प्रदेश सरकार से उठाया है : डा. राजेश

हिमाचल प्रदेश दवा उत्पादक संघ के अध्यक्ष डा. राजेश गुप्ता का कहना है कि पैकिंग मैटीरियल महंगा होने से दवाओं के उत्पादन की लागत बढ़ी है। इस मामले को प्रदेश सरकार से उठाया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही कोई समाधान निकलेगा।

कच्चा माल महंगा होने से बढ़े दाम : सुरेंद्र जैन

गत्ता उद्योग संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र जैन का कहना है कि कच्चा माल महंगा होने से फार्मा सेक्टर में इस्तेमाल होने वाला पैकिंग मैटीरियल महंगा हुआ है। यदि इसी प्रकार के हालात बने रहे तो आने वाले दिनों में दाम और बढ़ सकते हैं।

ट्रक भाड़ा भी दोगुना हो गया

पेट्रोल-डीजल के दाम बढऩे के बाद ट्रक भाड़े में भी बढ़ोतरी हुई है। परवाणू से अमृतसर तक दवाएं लेकर जाने वाले ट्रक का किराया पहले 8000 रुपये था, लेकिन अब 16000 रुपये किराया ले रहे हैं। कोरोना काल से पहले ट्रक मालिक एक तरफ का किराया लेते थे। वापसी में ट्रकों को दूसरी कंपनी की बुकिंग मिल जाती थी। अब वापसी में बुकिंग नहीं मिल रही। किराया बढऩे की एक वजह यह भी है।


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