विधायक के आदेश के बावजूद प्रशासन ने नहीं हटाए ज्वालामुखी मंदिर की भूमि से कब्जे Kangra News
Jwalamukhi Temple Encroachment शक्तिपीठ श्रीज्वालामुखी मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जों को हटाने के लिए स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने कई बार एसडीएम व तहसीलदार को निर्देश दिए लेकिन तीन वर्ष का कार्यकाल बीतने के बाद भी कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है।
ज्वालामुखी, जेएनएन। शक्तिपीठ श्रीज्वालामुखी मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जों को हटाने के लिए स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने कई बार एसडीएम व तहसीलदार को निर्देश दिए। लेकिन सरकार का तीन वर्ष का कार्यकाल बीतने के बाद भी कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है। स्थानीय विधायक के आदेशों की भी अवहेलना करने पर मंदिर न्यास ज्वालामुखी के सदस्यों में प्रशासन के खिलाफ रोष है। गौरतलब है कि मंदिर न्यास ज्वालामुखी की भूमि पर कई निजी मंदिरों व लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं।
स्थानीय विधायक ने कई बार टेढ़ा मंदिर, भैरव मंदिर व ज्वालामुखी मंदिर के अधीन छोटे-छोटे मंदिरों का दौरा किया और वहां पर लोगों से मिली शिकायतों के आधार पर मंदिर की भूमि पर किए गए कब्जों को तुरंत हटाने के निर्देश दिए थे।
कई बार मंदिर न्यास की अहम बैठकों में भी विधायक ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मंदिर न्यास ज्वालामुखी की सारी जमीन को खाली कराया जाए, ताकि पता चल सके कि मंदिर न्यास ज्वालामुखी और इसके अधीन छोटे छोटे मंदिरों की कितनी भूमि है, उनको चारदीवारी लगाई जाए और इन मंदिरों की भूमि में यात्रियों की सुविधाओं के लिए सराय, शौचालय, कैफ़े, पार्क व अन्य आकर्षक स्थल विकसित करने के प्रयास किए जाएं।
हैरानी इस बात की है कि सरकार का तीन वर्ष कार्यकाल पूरा होने वाला है, लेकिन अधिकारियों ने आज दिन तक इस मामले में एक कदम तक नहीं उठाया है, जिससे सरकार की जनता में फजीहत हो रही है। इस संबंध में सहायक मंदिर आयुक्त धनवीर ठाकुर के मुताबिक वे अभी हाल ही में आए हैं। वह मंदिर की जमीन के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे और उसके बाद आवश्यक कदम उठाएंगे।
वहीं स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने कहा उन्होंने कई बार अधिकारियों को लोगों द्वारा कब्जाई गई मंदिर की भूमि को खाली करवाने के लिए निर्देश दिए, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि राजस्व विभाग के अधिकारी अपने ही विभाग के एक कार्यालय को नहीं बनवा पा रहे हैं जबकि पैसा पटवारी के पास बैंक में पड़ा है।