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जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता को ध्यान में रख बनाएं योजनाएं

प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलनता को ध्यान में रखते हुए ब्यास नदी के साथ लगते इलाकों में भविष्य के लिए योजनाओं को तैयार करने के लिए उपायुक्त कार्यालय के सभागार में बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार ने की । इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 08:06 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 08:06 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता को ध्यान में रख बनाएं योजनाएं
जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता को ध्यान में रख बनाएं योजनाएं

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलनता को ध्यान में रखते हुए ब्यास नदी के साथ लगते इलाकों में भविष्य के लिए योजनाएं तैयार करने के लिए उपायुक्त कार्यालय में बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता उपायुक्त संदीप कुमार ने की।

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उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ता तापमान सबसे बड़ी चुनौती है यदि समय रहते कार्य नहीं किया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने कहा बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियरों के पिघलने के कारण कई बार नदियों का जलस्तर अत्याधिक बढ़ जाता है जिससे इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए हर समय खतरा बना रहता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता व इससे उत्पन्न होने वाले संभावित खतरों को मद्देनजर रखते हए अधिकारियों से हर पहलू को ध्यान में रखकर योजनाएं तैयार करने को कहा। विशेषकर ब्यास नदी के नजदीक पड़ने वाली पंचायतों के लिए तैयार की जाने वाली योजनाओं को तैयार करते समय अधिकारी इस गंभीर विषय के सभी पहलुओं को ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि नकारात्मक पर्यावरणीय परिवर्तनों को नियंत्रित करने के लिए समय रहते योजनाओं को सही स्वरूप में तैयार करने की दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता है। ब्यास नदी के साथ लगते प्रदेश के चार जिलों में जलवायु परिवर्तन के कारण संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए कुल्लू, मंडी, हमीरपुर तथा कांगड़ा जिलों में पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से पंचायत स्तर पर योजनाओं को तैयार करने के लिए कार्य किया जा रहा है। इनमें से तीन जिलों में सर्वे के आकलन का कार्य पूरा किया जा चुका है जबकि कांगड़ा •िाला में यह कार्य प्रगति पर है।

इस अवसर पर पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुरेश अत्री ने विचार व्यक्त किए तथा विभाग की ओर से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी दी।


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